कम वेतन में नहीं मिलते योग्य शिक्षक
तुमसर: तहसील में कुछ अंग्रेजी माध्यम की निजी शालाओं में विद्यार्थियों की पट संख्या के प्रमाण में शिक्षकों की संख्या कम है. इसमें नियुक्त किए गए कुछ शिक्षक डीएड, बीएड व टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होने से शैक्षणिक गुणवत्ता का अभाव इन शालाओं में दिखाई दे रहा है. जिससे अप्रशिक्षित शिक्षकों से विद्यार्थियों का बड़ा नुकसान हो रहा है. कुछ शिक्षक स्नातक है तो कुछ शिक्षक स्नातक की शिक्षा ले रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ 12वीं उत्तीर्ण हैं. कम वेतन के कारण शिक्षकों ने अंग्रेजी माध्यम की शालाछोड़ दी है. जिससे शिक्षकों की कमी महसूस की जा रही है. इसके बावजूद नए शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है. इतना ही नहीं कम वेतन में अप्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती करने से विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है. कम वेतन पर शिक्षकों के काम करने से शैक्षिक संस्थाओं को उसका लाभ होता है। अंग्रेजी माध्यम की शालाओं में अध्यापन कराने वाले शिक्षक अप्रशिक्षित होने से विद्यार्थियों के शिक्षा पर असर पड़ता है.
गिर रहा शैक्षिक गुणवत्ता का स्तर
इसी तरह कुछ शिक्षक तो पालकों को घर पर पढ़ाने की सलाह देना नहीं भूलते हैं. अनेक शाला के अप्रशिक्षित शिक्षकों से विद्यार्थियों के शैक्षिक गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है इसके लिए जिम्मेदार कौन ? ऐसा प्रश्न पालकों में उत्पन्न हो रहा है. निजी शाला की ओर शिक्षा विभाग अनदेखी कर रहा है. शिक्षा विभाग के विस्तार अधिकारी, केंद्र प्रमुख जांच के लिए नहीं जाते है. केंद्रीय शिक्षा मंडल का शालाओं पर व राज्य शिक्षा विभाग का नियंत्रण नहीं है. इतना ही नहीं जिला शिक्षा विभाग को केंद्रीय शिक्षा मंडल की निजी शाला के योग्य शिक्षक व अयोग्य शिक्षक कितने हैं इसकी जानकारी नहीं होने की बात सामने आई है
शिक्षा विभाग को ध्यान देने की आवश्यकता: सरकार के शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण निजी संस्था चालकों के हौसले बुलंद हुए है, जिला एवं तहसील स्तरीय अधिकारियों की ओर से प्रत्येक निजी शालाओं को भेंट देकर निर्देश देना चाहिए.