भंडारा: पालांदुर गांव में भूमिगत जलस्रोतों की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जलजीवन मिशन के अंतर्गत ‘हर घर नल, हर घर जल’ योजना के बावजूद पिछले 18 महीनों से गांव की जलापूर्ति योजना प्रभावित हुई है. कुछ ही घरों में अनियमित रूप से पानी पहुंच रहा है, जबकि अन्य जगहों पर लोग टिल्लू पंप लगाकर प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे हैं. केंद्र सरकार की जलजीवन मिशन योजना के तहत पालांदुर गांव के लिए 1.97 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है. यह राशि विभिन्न चरणों में खर्च की जानी है. परंतु योजना के क्रियान्वयन में ठेकेदार, जल आपूर्ति अधिकारी और सरकार मान्य निजी कंपनी के बीच समन्वय की कमी के कारण पानी की समस्या गंभीर हो गई है. पूर्व में गांव में हर नल पर मीटर लगे हुए थे, जिससे पानी का नियंत्रित उपयोग होता था. अब मीटर न होने से पानी का दुरुपयोग बढ़ गया है, जिससे समान जल वितरण में बाधा उत्पन्न हो रही है. कुछ खास गलियों में ही पानी की आपूर्ति हो रही है. अन्य जगहों पर पानी न आने से कई ग्रामीणों ने टिल्लू पंप नलों से जोड़ दिए हैं, जिससे अन्य इलाकों में जल दाब कम हो गया है और जलसंकट और बढ़ गया है. गांव की आबादी लगभग 6000 है, जिसके अनुसार प्रतिदिन कम से कम 3 लाख लीटर जल संग्रहण की आवश्यकता है. जबकि वर्तमान में महज 20 हजार लीटर क्षमता का जलकुंभकार्यरत है, जो पूरी तरह अपर्याप्त है. जलजीवन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी योजना की सफलता के लिए प्रशासनिक इच्छाशक्ति, पारदर्शिता और ग्रामीणों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है. अन्यथा ‘हर घर नल, हर घर जल’ केवल एक नारा बनकर रह जाएगा.
मोर्चा निकालने की चेतावनी: ग्रामीण जलापूर्ति, जिला परिषद भंडारा के उपविभागीय अभियंता नीलिमा हलमारे ने बताया कि नई बोरवेल खुदाई के लिए ग्राम पंचायत से मार्गदर्शन मांगा गया है और आपूर्ति सुधारने के प्रयास जारी हैं. पालांदुर के ग्राम पंचायत अधिकारी प्रवीण सोरटकर ने कहा कि जिन घरों में टिल्लू पंप लगे हैं, उनसे 2000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा. पानीपट्टी बकाया रखने वालों की जलापूर्ति भी बंद की जाएगी. पालांदुर की सरपंच लता कापसे ने ठेकेदार पर समय पर सहयोग न करने का आरोप लगाया और बताया कि यदि जल आपूर्ति जल्द दुरुस्त नहीं हुई, तो जिला परिषद पर मोर्चा निकाला जाएगा.