शिवसेना समन्वयक पद भी छोड़ा, मंत्री नहीं बनाने पर जताई नाराजगी
भंडारा: भंडारा से तीसरी मर्तबा विधायक बने नरेंद्र भोंडेकर को इस बार मंत्री बनने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन इस बार फिर वे चूक गए है. तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी उन्हें मंत्री बनाने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को वे पूरा नहीं कर पाए. नतीजतन नाराजगी जताते हुए भोंडेकर ने शिवसेना के विभिन्न पदों से इस्तीफा दे दिया. भोंडेकर के समर्थकों को भी उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री पद मिलेगा. लेकिन आज के मंत्रिमंडल के विस्तार से उनको भी निराशा हाथ लगी. दरअसल, नागपुर में कैबिनेट विस्तार के बाद शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही उन्होंने अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया. भोंडेकर ने उपनेता के साथ ही पूर्वी विदर्भ के संयोजक पद से भी इस्तीफा दे दिया है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना को राज्य मंत्रिमंडल में 12 मंत्री पद मिले हैं. माना जा रहा है कि अपने रूख के कारण■ भंडारा, ब्यूरो. भंडारा से तीसरी मर्तबा विधायक बने नरेंद्र भोंडेकर को इस बार मंत्री बनने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन इस बार फिर वे चूक गए है. तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी उन्हें मंत्री बनाने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को वे पूरा नहीं कर पाए. नतीजतन नाराजगी जताते हुए भोंडेकर ने शिवसेना के विभिन्न पदों से इस्तीफा दे दिया. भोंडेकर के समर्थकों को भी उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री पद मिलेगा. लेकिन आज के मंत्रिमंडल के विस्तार से उनको भी निराशा हाथ लगी. दरअसल, नागपुर में कैबिनेट विस्तार के बाद शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही उन्होंने अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया. भोंडेकर ने उपनेता के साथ ही पूर्वी विदर्भ के संयोजक पद से भी इस्तीफा दे दिया है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना को राज्य मंत्रिमंडल में 12 मंत्री पद मिले हैंमाना जा रहा है कि अपने रूख के कारणभोंडेकर ने अब गेंद एकनाथ शिंदे के पाले में डाल दी है. बता दें अपनी भोंडेकर ने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है. गौरतलब है कि पिछले माह हुए विधानसभा के चुनाव के पूर्व उन्हें टिकट देने में भी कई तरह की समस्याएं निर्माण हो गई थी. एक बार तो भोंडेकर ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी थी. आखिर में उन्हें पार्टी की ओर से टिकट भी दे दी गई. इसके बाद उन्हें शिवसेना का उपनेता नियुक्त किया गया. इतना ही नहीं तो चुनाव के दौरान एकनाथ शिंदे ने भोंडेकर को मंत्री पद देने चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक सभा में भी घोषणा भी की थी.
फिर झंडा मंत्री की उम्मीद जागी
राज्य के कई जिलों को अपने जिले का पालकमंत्री मिला है. इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में पूर्व विदर्भ की घोर उपेक्षा हुई है. भंडारा ही नहीं तो गोंदिया, चंद्रपुर और गढ़चिरौली भी उपेक्षित रह गए है. इन सभी जिलों को अब झंडा मंत्री मिलने की उम्मीद है. एक ऐसा मंत्री जो केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने आएगा और चला जाएगा. उस मंत्री को भंडारा जिले से कोई लगाव नहीं होगा. पिछले कई सालों से यह परंपरा चल रही है. पहले विलासराव श्रृंगारवार, बंडू सावरबांधे, नाना पंचबुदधे और परिणय फुके को समय-समय पर सीमित समय के लिए जिले का नेतृत्व मंत्रिमंडल में करने का अवसर मिल चुका है. बाहर से लाए गए पालकमंत्रियों की लंबी फेरहिस्त है.