11 महीनों में 19 किसानों ने की आत्महत्या
भंडारा : प्राकृतिक आपदाओं और शासन-प्रशासन की लापरवाही और उपेक्षित नीतियों के कारण किसान संकट में हैं. नतीजतन, बेमौसम बारिश, कर्ज और फसल की असफलता के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. वर्ष 2024 में जनवरी से नवंबर तक के 11 महीनों में 19 किसानों ने आत्महत्या की है. जिले में अब तक 22 वर्षों में 739 किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें से 2008 में सर्वाधिक 61 किसानों की आत्महत्या हुई थी. जिले का लगभग 80 प्रतिशत किसान समुदाय कृषि पर निर्भर है. जिससे भंडारा को ‘चावल का जिला’ कहा जाता है. इसके साथ ही सोयाबीन, कपास, सब्जियां, गन्ना और दलहनी फसलें भी उत्पादित होती हैं. लेकिन, दिन-प्रतिदिन बढ़ते कृषि उपकरणों के दाम और उत्पादन लागत के कारण कृषि व्यवसाय घाटे में जा रहा है. उत्पादन से अधिक खर्च होने के कारण कृषि अब घाटे का व्यवसाय बन चुका है. फिर भी जिले में रोजगार के साधन न होने के कारण किसान अपनी आजीविका के लिए मजबूरी में कृषि करते हैं और परिवार का पालन-पोषण करते हैं. प्राकृतिक संकटों और शासन-प्रशासन की नीतियों के कारण किसान हताश हो रहे हैं. कभी बाढ़, कभी कम बारिश, कभी कीटों का प्रकोप ये सभी संकट किसानों को परेशान कर रहे हैं. दूसरी ओर शासन और प्रशासन की उपेक्षित नीतियों के कारण किसान और भी संकट में आ रहे हैं. उत्पादित माल को उचित मूल्य न मिलने के कारण कृषि अब लाभकारी नहीं रही है. इसके लिए किसान निजी साहूकारों, बैंकों और सहकारी संस्थाओं से कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं. लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और शासन की उपेक्षित नीतियों के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या करने तक मजबूर हो रहे हैं. इस वर्ष भंडारा जिले में जनवरी से नवंबर तक 19 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से जनवरी में 4, फरवरी में 2, मार्च में 4, अप्रैल में 3, मई में 4, जून में 1, जुलाई में 1 किसान की आत्महत्या की घटना हुई है. अब तक 2 मामलों को पात्र माना गया है, जबकि 17 मामले अपात्र रूप में दर्ज किए गए हैं. पिछले वर्ष 2023 में 720 किसानों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से 292 मामले पात्र ठहराए गए थे, जबकि 428 मामले अपात्र पाए गए थे.