मुंबई फेरी बोट हादसे की बेबसी का मंजर देख कांपे लोग
मुंबई: तो माता-पिता अपने कलेजे के टुकड़ों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं लेकिन मुंबई फेरी बोट हादसे वाले दिन वे उन्हें समुद्र में फेंकने को तैयार थे. उन्होंने बच्चों को समुद्र में लटका भी दिया था, बस हाथ छोड़ने वाले थे कि बचाव दल की टीम ने उन्हें चिल्लाकर रोका. उन्हें बच्चों के साथ बचाने का आश्वासन दिया. बचाव दल ने बताया कि नाव डूबने लगी तो एक माता-पिता अपने बच्चों को समुद्र में फेंकने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन सीआईएसएफ मरीन कमांडो की एक टीम ने उन्हें करने से रोक दिया. उन्हें आश्वासन दिया कि उन सभी को बचा लिया जाएगा. 18 दिसंबर की दुर्घटना के बाद सीआईएसएफ कॉन्स्टेबल अमोल सावंत और उनके 2 सहयोगी सबसे पहले बचाव को उतरे. उनकी गश्ती नौका शाम लगभग 4 बजे मुंबई तट पर दुर्घटना स्थल पर पहुंची और उन्होंने बच्चों सहित सबसे कमजोर लोगों को बचाने के गोल्डन आवर्स का उपयोग करने का फैसला किया. हम तट से कुछ दूरी पर नियमित गश्त पर थे जब हमारे वॉकी टॉकी ने हमें सूचित किया कि एक यात्री नौका डूब रही है. मैंने पायलट (स्पीड बोट ड्राइवर) को पूरी ताकत से स्पीड बढ़ाने को कहा. हम कुछ ही समय में लगभग 3-4 किलोमीटर दूर दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए.
3 दिन बाद बच्चे का शव मिला
तीन दिन पहले मुंबई तट पर नौसेना के एक स्पीड बोट द्वारा नौका से टकराने के बाद, लापता हुए सात वर्षीय बच्चे का शव शनिवार दोपहर करीब 12 बजे नौसेना ने बरामद किया है. जोहान निसार अहमद पठान का शव येलो गेट के पास समुद्र में तैरता हुआ मिला है. उसे जेजे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसके साथ ही मरने वालों की संख्या 15 हो गई है. पुलिस ने लापता लड़के का पता लगाने के लिए मछुआरों की मदद लेने के अलावा मुंबई पोर्ट ट्रस्ट जैसी अन्य एजेंसियों से भी मदद ली थी. बता दें कि, 18 दिसंबर की देर शाम को दक्षिण मुंबई स्थित गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा द्वीप की ओर जा रही. नीलकमल नाव और नौसेना स्पीड बोट की टक्कर से हादसे हुआ था.