मुसलमानों को पेंशन, हर बड़े शहर में ईदगाह और कब्रिस्तान, 5 लाख बिना ब्याज के लोन, इमामों की तनख्वाह 10 हजार…
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं ने मुस्लिमों का आरक्षण खत्म करने सहित कई ऐसे बयान दिए जिसे लेकर देश भर में हंगामा मचा. यहां तक कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया. वहीं चुनाव परिणाम आए तो भाजपा सिर्फ 240 सीटों पर सिमट गई. अब एनडीए के सहयोगी दलों के साथ केंद्र में सरकार बनाने जा रही है. इसमें टीडीपी सबसे प्रमुख दल है जिसके 16 सांसद हैं. वहीं जदयू के 12 सांसद हैं. टीडीपी ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी शानदार सफलता पाई है. राज्य में टीडीपी के साथ भाजपा भी सरकार में होगी. ऐसे में अब चर्चा टीडीपी का घोषणा पत्र चर्चा में बना हुआ है.
दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान टीडीपी ने कई प्रकार की घोषणाएं की थी. इसमें मुस्लिमों को लेकर विशेष घोषणाएं शामिल थी. टीडीपी के घोषणा पत्र के प्रमुख अंश में 50 बरस से ऊपर के मुसलमानों को पेंशन, हर बड़े शहर में ईदगाह और कब्रिस्तान के लिए जमीन, 5 लाख बिना ब्याज के मुसलमानों को लोन, इमामों की तनख्वाह 10 हजार रुपए, हर मस्जिद के रखरखाव के लिए 5 हजार महीना और 1 लाख रुपए एकमुश्त सहायता राशि शामिल है. इसके अलावा मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण का वादा हर सभा में चंद्रबाबू नायडू ने किया. यहाँ तक कि उनके बेटे टीडीपी के महासचिव नारा लोकेश ने एक दिन पहले ही कहा कि राज्य में ओबीसी कोटा के तहत मुस्लिमों को 4 फीसदी आरक्षण देने के लिए उनकी पार्टी प्रतिबद्ध है.
आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने की तैयारी और केंद्र में अहम भूमिका निभाने वाली टीडीपी का घोषणा पत्र विपक्षी दलों द्वारा एनडीए पर हमला बोलने का कारण बना हुआ है. चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिमों के आरक्षण खत्म करने की घोषणाएं सहित अन्य मामलों को लेकर अब विपक्षी दलों के नेता और समर्थक लगातार सवाल कर रहे हैं कि अब एनडीए मुस्लिमों पर मेहरबान होगी. वहीं टीडीपी के नेताओं ने साफ कहा है कि वे पहले से ही इन घोषणाओं को अपने मेनिफेस्टो में शामिल किया था.