चंद्रपुर, गोंडपिपरी तहसील में आतपुराव्याला और कहसील को मारने वाला बाघ पिछले कुछ दिनों से अचानक गायब हो गया है. वनविभाग को भी उसके ठिकाने का पता नहीं है. वनविभाग के पास इस बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है कि बाघ कहां गया, क्या वह किसी दूसरे इलाके में गया या कुछ अनहोनी हुई है. इस असमंजस की स्थिति से गांव वालों में कई तरह की आशंका पैदा हो गई है.
तलाश जारी हैः विदित हो कि बाघ ने एक माह पूर्व चेकपिपरी और गणेशपिपरी के किसान भाऊजी पाल और अलका पेंदोर को मार डाला था. उस समय वह बार-बार इलाके में नजर आ रहा था; लेकिन उसके बाद से कई दिनों से बाघ का कोई सुराग नहीं मिला है. वनविभाग का कहना है, बाघ की तलाश जारी है. हालांकि, असल में गांव वालों का आरोप है कि यह लापरवाही का मामला है, दो किसानों की मौत के बाद
एक झलक भी नहीं पा सके
48 घंटे नहीं, बल्कि लगभग एक महीना बीत चुका है, बाघ को पकड़ना तो दूर, उसकी कोई झलक भी नहीं मिली है. वनविभाग का दावा है कि ड्रोन कैमरे, पिंजरे, AI तकनीक जैसे सभी तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. फिर भी, खोज अभियान बेकार साबित हो रहा है. गांववालों ने शक जताया है कि बाघ के अचानक गायब होने के बारे में’ वन विभाग को ठीक से पता नहीं है’. इस बीच, किसानों में अभी भी डर बना हुआ है. खेतों में फसलें कटने को आ गई हैं. ऐसे में उन्हें डर के माहौल में ही फसलें काटनी पड़ रही हैं. मजदूरों ने भी काम पर आना कम कर दिया है. मजदूरों को दोगुनी मजदूरी देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जिस तहसील में इंडस्ट्री नहीं है, जहां खेती ही एकमात्र सहारा है, वहां किसानों के लिए यह स्थिति और मुश्किल होती जा रही है. वनविभाग को कम से कम यह तो साफ करना चाहिए कि बाघ किस इलाके में गया है, या असल में क्या हुआ है. ताकि किसान व मजदूर खेतों में खुलकर सांस ले सकें, गांववालों ने इस मामले में वन विभाग के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है.
गुस्साए लोगों ने 27 अक्टूबर को चंद्रपुर अहेरी राज्य मार्ग को 9 घंटे तक जाम कर अपना विरोध जताया था. इसके बाद
में फसलें सही बाघ को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, क्योंकि खेतों उगी हुई हैं, इसलिए बाघ की लोकेशन का पता नहीं चल पाया है, वनविभाग का दल खेतों में गश्त कर रहा है और स्पीकर से शोर भी किया गया है. इस वजह से बाघ दूसरे क्षेत्र में चला गया होगा.



