भंडारा, ब्यूरो. नगर परिषद चुनाव की घोषणा होते ही शहर का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है. कड़ाके की ठंड में भी राजनीतिक रणक्षेत्र गर्म होने लगा है और हर गली-मोहल्ले में चुनावी चर्चा शुरू हो गई है. पार्टी से टिकट मिलने की कोई निश्चितता न होने के बावजूद, कई प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी हैं. कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि जिन्हें टिकट मिलने की संभावना है, उन्होंने प्रचार तंत्र सक्रिय रखा रखा है. इसके चलते शहर के राजनीतिक समीकरण नए सिरे से गढ़े जा रहे हैं और प्रत्याशी मतदाताओं का दिल जीतने की जद्दोजहद में लगे हैं. चुनाव की घोषणा होते ही प्रमुख दलों में अंदरूनी हलचल तेज़ हो गई है. हर दल में गुटबाजी अब खुलकर सामने आने लगी है. कछ दावेदार वरिष्ठ नेताओं
से सिफारिशें लेने के लिए उच्च पदस्थ नेताओं के दरवाजे खटखटा रहे हैं.
मतदाताओं से जुड़ने के लिए मिलने का सिलसिला शुरू: वहीं कुछ लोगों ने स्थानीय कार्यकर्ताओं के जरिए पार्टी के वोटों को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है. वरिष्ठ नेता और पूर्व पार्षद पार्टी की निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने की तैयारी में हैं और कुछ जगहों पर पुरानी दुश्मनी फिर से उभर आई है. ऐसे में पार्टी का उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया सभी के लिए महत्वपूर्ण होगी.
अगर टिकट वितरण में असंतुलन होता है, तो बगावत के संकेत पहले से ही दिखाई देने लगते हैं. आधिकारिक टिकट मिले या न मिले, प्रचार रैलियां शुरू हो चुकी हैं. उम्मीदवारों ने हर वार्ड में सुबह से शाम तक मतदाताओं से जुड़ने के लिए मिलने का सिलसिला शुरू कर दिया हैं. हम पर नज़र रखें, हम आपकी सेवा में हैं, हमें आपके वोटों पर भरोसा है जैसे अप्रत्यक्ष बांते की जा रही है. उम्मीदवार प्रमुख नागरिकों, नेताओं और स्थानीय संगठनों से मिलकर समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
जातिगत और सामाजिक समीकरण अहम होंगे हर चुनाव की तरह इस साल भी जातिगत और सामाजिक समीकरण अहम होंगे. इस बात का गहन अध्ययन किया जा रहा है कि किस क्षेत्र में कौन से कारक प्रभाव डालेगा, कौन सा
नए चेहरों को मौका मिलने की संभावना
इस चुनाव में नए चेहरों को मौका मिलने की संभावना है. शहर के कुछ युवा सामाजिक कार्यों के बल पर मतदाताओं के बीच अपनी पहचान बनाकर अब सीधे राजनीतिक मैदान में पहुंच गए हैं. वहीं, अनुभवी पूर्व पार्षद अपने पिछले कार्यकाल के विकास कार्यों का हवाला देकर मतदाताओं को अपने विश्वास में ले रहे हैं. राजनीतिक खींचतान के कारण चुनाव का रंग और गहरा हो गया है.
समूह किस उम्मीदवार की ओर झुकेगा. चूंकि युवा मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है, इसलिए उम्मीदवार उन्हें आकर्षित करने के लिए नए-नए प्रचार के तरीके अपना रहे हैं. इस बीच, बुजुर्गों और पारंपरिक मतदाताओं के भावनात्मक आधार को रिझाकर पुरानी पहचान को मज़बूत करने की कोशिशें भी जारी हैं.



