भंडारा: वन्य जीव संरक्षण कानून के चलते जंगलों में वन्य प्राणियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. घास-पत्तियों पर निर्भर रहने वाले शाकाहारी जानवरों को जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है, जिससे वे किसानों के खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वहीं मांसाहारी हिंसक जानवर अपने शिकार की तलाश में गांवों की ओर बढ़ रहे हैं. एक ओर जंगलों की नदियां, नाले और जल स्रोत सूख चुके हैं, जिससे कुछ जानवर पानी और भोजन की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं. ऐसे समय में हिंसक जानवर पालतू पशुओं के साथ साथ इंसानों पर भी हमला कर रहे हैं. इसलिए विशेषज्ञों की ओर से मानव और वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष की आशंका व्यक्त की जा रही है. सर्दियों का मौसम समाप्त हो चुका है और पिछले एक महीने से गर्मी का मौसम शुरू हो गया है. गर्मी के कारण नदियों और नालों का पानी वाष्पित हो रहा है, जिससे जंगलों के जल स्रोत सूख गए हैं. पानी की तलाश में अब गर्मी के दिनों में जानवरों का गांवों की ओर रुख बढ़ता जा रहा है. इस कारण अब बाघ, तेंदुए और भालू जैसे हिंसक जानवर केवल रात में ही नहीं, बल्कि दिनदहाड़े भी देखे जा रहे हैं. जिले के कुछ हिस्सों में कहीं खेतों में, कहीं जंगलों में और कहीं गांवों के गोठों (पशु बाड़ों) में भी बाभऔर तेंदुए घुसकर पालतू पशुओं को मार डाल रहे हैं. इससे पशुपालकों में भय का माहौल बन गया है और खेती का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है.
वन्य प्राणियों की जरूरतों पर दें ध्यान: जंगल में वन्य प्राणियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग को सजग हो जाना चाहिए, वन्य प्राणियों के जीवनयापन की आवश्यकताओं पर भी वन विभाग को ध्यान देना आवश्यक हो गया है. जंगलों में पर्याप्त भोजन और पानी न मिलने के कारण जानवरों का गांवों की ओर रुख बढ़ता जा रहा है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है. इस पर वन विभाग और प्रशासन को ध्यान देना जरूरी हो गया है.