एक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के बारे में है, जो मनोहरभाई पटेल अभियांत्रिकी महाविद्यालय, शहापूर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था।
महिला सशक्तिकरण की जिम्मेदारी – कर्णधार कु. प्राची केशव चटप
भंडारा: 21वीं सदी में महिलाओं ने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है, जिसका श्रेय क्रांतिकारी समाजसेवी सावित्रीबाई फुले को जाता है। उन्होंने शिक्षा का मार्ग प्रशस्त कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया। शिक्षा, नौकरी, खेल और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी इसका प्रमाण है।
कार्यक्रम में भारतीय आट्यापाट्या संघ की कर्णधार और स्वर्ण पदक विजेता कु. प्राची केशव चटप ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि माता-पिता अपनी संतानों की शिक्षा और भविष्य को लेकर अनेक सपने देखते हैं, जिनका सम्मान करना आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से मोबाइल और तकनीक का सदुपयोग करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए महिला जागरूकता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।
यह कार्यक्रम मनोहरभाई पटेल अभियांत्रिकी महाविद्यालय, शहापूर में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रल्हाद हरडे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कु. प्राची केशव चटप, बाल उदय संस्था की सानिका वडनेरकर, कार्यक्रम समन्वयक प्रा. दीपाली ईश्वरकर, प्रा. अजय मोतीवाल, दुर्गा चटप और विलास केजरकर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत सावित्रीबाई फुले, स्व. मनोहरभाई पटेल और सरस्वती माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। सानिका वडनेरकर ने महिलाओं की सुरक्षा और सतर्कता पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले ने कठिनाइयों का सामना कर महिलाओं के लिए शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे आज वे विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रल्हाद हरडे ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की छात्रा कु. प्राची चटप ने कठिन परिस्थितियों को पार कर अपनी प्रतिभा के दम पर भारतीय आट्यापाट्या संघ की कप्तानी की और स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। उन्होंने विद्यार्थियों से प्रेरणा लेकर अपने माता-पिता, गांव, जिला और महाविद्यालय का नाम गौरवान्वित करने की अपील की।
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने महिला जागरूकता से संबंधित रंगोलियां बनाई। कार्यक्रम का संचालन प्रा. शीतल गभणे ने किया, प्रस्तावना प्रा. डॉ. साहिद अख्तर ने रखी, और आभार कार्यक्रम समन्वयक प्रा. दीपाली ईश्वरकर ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम की सफलता में प्रा. प्रशांत लांजेवार, प्रा. स्वाती कोल्हटकर, दीक्षा शेंदरे, आयुष वैद्य सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों का योगदान रहा।