दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि राज्य के अधिकारी ‘दबाव में’ हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका नहीं. ‘हिल स्टेशन’ माथेरान में ई-रिक्शा लाइसेंस के आवंटन से जुड़ी न्यायिक अधिकारी की रिपोर्ट की सत्यता पर महाराष्ट्र सरकार के सवाल उठाने पर न्यायालय ने यह टिप्पणी की. महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि न्यायिक अधिकारी की रिपोर्ट ‘पूरी तरह से तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हो सकती’ है. इसके बाद न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के साथ पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बीआर गवई ई ने कहा कि आपके अधिकारी दबाव में हो सकते हैं, लेकिन हमारी न्यायपालिका नहीं. मुंबई से करीब 83 किलोमीटर दूर स्थित माथेरान में ‘ऑटोमोबाइल’ की अनुमति नहीं है. राज्य के वकील ने कहा कि यह उचित होगा कि अधिकारी लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करें. पीठ ने राज्य सरकार को ई-रिक्शा आवंटन की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने के लिए प्रस्ताव लाने के वास्ते दो सप्ताह का समय दिया.