माना जाता है कि बीजेपी हमेशा चुनाव के लिए तत्पर या इलेक्शन मोड में रहती है. दिल्ली में मिली जीत से पार्टी के हौसले बुलंद हो गए हैं. अब बीजेपी ने ठान लिया है कि वह विपक्षी गठबंधन के हर नेता से आनेवाले समय में निपट लेगी. विपक्ष भी मानता है कि अपने कार्यकर्ताओं के अलावा जांच एजेंसियों के माध्यम से भी बीजेपी अपने विरोधियों को निशाने पर लेती है. पार्टी ऐसे किसी विपक्षी नेता को बर्दाश्त नहीं करती जो आगे चलकर मोदी के लिए चुनौती बन सकता है. बीजेपी नेतृत्व भूला नहीं है कि बंगाल विधानसभा चुनाव के समय ममता बनर्जी ने कैसा तेजतर्रार लड़ाकू रवैया अपनाया था. वहां प्रचार करने गए बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के खिलाफ अकेले ही मोर्चा संभाला था. ममता ने अपने राज्य में मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा किसी की भी नहीं चलने दी थी. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भी बंगाल का राज्यपाल रहते समय आए उस तीखे बर्ताव का अनुभव है जो ममता ने उनके साथ किया था. जिस तरह केजरीवाल बीजेपी के लिए चुनौती बने हुए थे .