भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा को जीवित रखने का कार्य कई प्रतिभाशाली कलाकार कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं कु. आशिता प्रकाश मुरकुटे। उनका जन्म 24 अप्रैल 2001 को नागपुर में हुआ। मात्र 3 वर्ष की आयु से ही नृत्य के प्रति उनका विशेष लगाव रहा। उनकी मां, चंदा मुरकुटे, चाहती थीं कि वह शास्त्रीय नृत्य में पारंगत हों।

भारतीय शास्त्रीय नृत्य में गुरु-शिष्य परंपरा महत्वपूर्ण होती है। आशिता ने अपने प्रथम गुरु ऋषिकेश पोहनकर (नागपुर) से भरतनाट्यम की शिक्षा ली। इसके बाद, पुणे में अरुंधती पटवर्धन के मार्गदर्शन में नृत्य का अध्ययन जारी रखा। उन्होंने संस्कार भारती द्वारा आयोजित बहिरंगेश्वर मंदिर में तीन वर्षों तक देव-दीपावली के अवसर पर नृत्य प्रस्तुत किया। इसके अलावा, पुणे में राम जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम और ‘नृत्यांजलि’ में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
नृत्य के अलावा, आशिता को रंगोली, तबला वादन, मेहंदी और पेंटिंग में भी विशेष रुचि है। वर्तमान में वे पुणे में मानवशास्त्र विषय में एम.एससी कर रही हैं। उनके पिता एक इंजीनियर हैं, जबकि मां चंदा मुरकुटे संस्कार भारती में रंगोली कला विभाग प्रमुख हैं और भंडारा में भरतनाट्यम की कक्षाएं संचालित करती हैं।

आशिता का सपना एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय नृत्य कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाना है। अपने नृत्य में निरंतर निखार लाने के लिए वे कड़ी मेहनत कर रही हैं। उनका समर्पण और संघर्ष निश्चित रूप से उन्हें इस क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिलाएगा।