दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार निरर्थक केस दायर करने वाले एक याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि याचिकाकर्ता ने न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग किया है. कोर्ट ने कहा कि अदालत तक पहुंच का अधिकार लोकतंत्र का मौलिक स्तंभ है लेकिन इसे सावधानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए. न्यायिक प्रणाली के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. याचिकाकर्ता ने 11 वर्षों में बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न मंचों पर 10 से अधिक बार मामले दायर किए. जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने याचिकाकर्ता की ऐसी हरकतों को न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग करार दिया. अदालत ने कहा कि न्यायालयों तक पहुंच का अधिकार हमारे लोकतंत्र का मूलभूत स्तंभ है. हालांकि यह अधिकार पूर्ण नहीं है और इसे जिम्मेदारीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए. जब याचिकाकर्ता अलग-अलग फोरम पर बार-बार निराधार याचिकाएं दायर करते हैं और जानबूझकर कार्यवाही में देरी करते हैं तो वे हमारी न्यायिक प्रणाली की नींव को कमजोर करते हैं.