हिंदुओं के मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हों
‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ की बैठक में उठी आवाज
मुंबई : प्रतिकूल परिस्थितियों में संतों ने मंदिरों की संस्कृति को बनाए रखा. वर्तमान स्थिति में हिंदू केवल तीर्थक्षेत्र जाते हैं, लेकिन अगर उन तीर्थक्षेत्रों की पवित्रता नष्ट हो रही है तो वे उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. अध्यात्म हमारे श्वास और रक्त के प्रत्येक बूंद में होना चाहिए. अगर हिंदू धर्म के बारे में निर्षक्रय रहे तो भविष्य में जीना कठिन हो जाएदा. भारत में एक भी मस्जिद या चर्च को सरकार ने अपने अधीन नहीं लिया है, जबकि करोड़ों का के लेन-देन होते है. अन्य धमो क प्रार्थना स्थल सरकार के अधीन नहीं हैं लेकिन हिंदओं के मंदिर ही क्यों सरकार के अधीन हैं? इसलिए अब हिंदुओं के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना. यह मांग अहिल्यानगर के सदुरु गंगागिरी महाराज संस्थान के मठाधिपति पू. रामगिरी महाराज ने की. महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, विरार के जीवदानी देवी संस्थान आदि ने की. श्री ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर देवस्थान, श्री साई पालखी निवारा और हिंदू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्री साई पालखी निवारा, शिर्डी में आयोजित तीसरे ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ के पहले दिन वे बोल रहे थे. इस परिषद में पूरे महाराष्ट्र से 750 से अधिक आमंत्रित मंदिरों के विश्वस्त, प्रतिनिधि, पुरोहित, मंदिरों के संरक्षण के लिए लड़ने वाले वकील, अध्येता आदि शामिल हुए हैं.