अब पालक मंत्री नियुक्ति पर नजर
देवेन्द्र या फिर बावनकुले संभालेंगे जिम्मेदारी
नागपुर: शीत सत्र समाप्ति वाली रात शनिवार को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी हो गया. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से सप्ताह भर तक किसी के पास उनके विभाग ही नहीं थे. अब जिलों के पालक मंत्री कौन होंगे, इस पर सबकी नजर लगी हुई है. नागपुर जिले से सीएम देवेन्द्र फडणवीस, राजस्व मंत्री व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और राज्य मंत्री आशीष जायसवाल हैं. चर्चा है कि जायसवाल को संभवतः यह जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. अब देवेन्द्र खुद अपने जिले का पालकत्व स्वीकारते हैं या फिर यह जिम्मेदारी बावनकुले को देते हैं, यह देखने वाली बात होगी. राज्य की बात करें तो कुछ जिलों में एक से अधिक मंत्री बने हैं. उनके बीच अब पालक मंत्री पद के लिए खींचतान शुरू हो सकती है. संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि इस कारण से पालक मंत्रियों की नियुक्तियां भी लंबा खिंच सकती है. 2014 में बावनकुले को मिला था मौका वर्ष 2014 में महायुति सरकार के काल में चंद्रशेखर बावनकुले जिले के पालक मंत्री थे. वहीं एकनाथ शिंदे सरकार में डीसीएम रहते हुए देवेन्द्र फडणवीस ने पालकत्व की जिम्मेदारी अपने पास रखी थी. इस बार सीएम फडणवीस के पास गृह व ऊर्जा, विधि व न्याय, सामान्य प्रशासन, सूचना व जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विभागों के साथ ही अन्य ऐसे विभाग भी हैं जिन्हें किसी दूसरे मंत्रियों को नहीं दिया गया है. बावनकुले की तुलना में उन पर कामकाज का अधिक दबाव रहने वाला है. संभावना जताई जा रही है कि इसके चलते बावनकुले को एक बार फिर पालक मंत्री नियुक्त किया जा सकता है परंतु यवतमाल, छत्रपति संभाजीनगर सहित कुछ जिलों में अधिक मंत्री होने के चलते पालक मंत्री की नियुक्ति नई सिरदर्दी हो सकती है.
10 का हो गया पत्ता कट
पिछली शिंदे सरकार में जो 10 पालक मंत्री थे उनका पत्ता इस सरकार में कट गया है. वे अब पालक मंत्री के रूप में नजर नहीं आएंगे. इनमें सुधीर मुनगंटीवार, दीपक केसरकर, दिलीप वलसे पाटिल, अब्दुल सत्तार, विजयकुमार गावित, तानाजी सावंत, रविंद्र चव्हाण, सुरेश खाडे, अनिल पाटिल, संजय बनसोडे का समावेश है. मुनगंटीवार चंद्रपुर व वर्धा जिले और गावित भंडारा के पालक मंत्री थे.