2 दिनों से वैनगंगा नदी के तट पर शिकार की ताक में टाइगर
भंडारा: सोमवार को गणेशपुर श्मशान घाट के करीब बकरों पर हमला करने वाले बाघ ने दो दिन से वैनगंगा नदी के करीब की झाड़यों में डेरा डाल रखा है. मंगलवार सुबह गश्त पर निकले किसानों को बाघ के नए पगमार्क दिखाई दिए वहीं वन विभाग ने ट्रैप कैमरों की संख्या बढ़ा कर 4 कर दी है और ड्रोन कैमरों से निगरानी जारी है. मंगलवार सुबह कुछ किसानों को गणेशपुर से भंडारा पुलिस मुख्यालय के पीछे आने वाली पगडंडी के आस पास बाघ के ताजा पगमार्क दिखाई दिए. वन विभाग की टीम भी इसी क्षेत्र में दो दिनों से गश्त कर रही है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि बाघ खंडहर हो चुके पुराने अवशेषों के पास वाली बाम्बू और घनी झाड़यों में छिपा हो सकता है. कुछ लोगों का अनुमान है की बाघ नदी किनारे होते हुए कहीं दूर निकल चुका है. जिप सदस्य यशवंत सोनकुसरे ने बताया कि वे इस क्षेत्र के किसानों से संपर्क बनाए रखे हैं और कोई भी सूचना प्राप्त होते ही वन विभाग को अलर्ट करेंगे.
सुरक्षा पुख्ता करने की जरूरत
बाघ पुलिस मुख्यालय और वैनगंगा नदी के बीच होने की संभावना जताई जा रही है. इसके एसपी बंगले के पीछे के तालाब और झाड़यिों के करीब होने की जानकारी है. यह से मात्र 200 से 300 मीटर की दूरी पर है. ऐसे में सुरक्षा के इंतजाम और पुख्ता किए जाने की जरूरत है. इसके पहले जिला मुख्यालय के इतने करीब बाघ आने का कोई रिकार्ड नहीं है.
पटाखों का किया उपयोग
भंडारा वन परिक्षेत्र अधिकारी संजय मेंढ़े ने बताया कि सुबह बाघ के पगमार्क दिखने के बाद गश्ती की सीमा बढ़ा दी गई है वहीं अब 4 ट्रैप कैमरा लगाए गए हैं. जब तक बाघ ट्रैप कैमरा में कैद नहीं हो जाता, आगे की कारवाई करना मुश्किल है. ड्रोन कैमरे की मदद से भी आसपास के क्षेत्र में निगरानी की गई लेकिन कहीं भी बाघ नजर नहीं आया. वन विभाग ने क्षेत्र में हलचल के लिए पटाखों का भी उपयोग किया लेकिन व्यर्थ रहा. असमतल और गीली जमीन होने की वजह से वन विभाग जेसीबी या पोकलेन जैसे भारी वाहनों से झाड़यिों के करीब जाकर सुरक्षित तरीके के इस्तेमाल के बारे में भी सोच रहा है. वन विभाग की ओर से रेंजर मेंढ़े ने किसानों से क्षेत्र से दूर रहने की अपील की है. बाघ की लोकेशन का सही पता चलने के बाद आगे की
कार्रवाई की जाएगी ऐसा उन्होंने कहा