दिल्ली– सोमवार से शुरू हुई 18वीं संसद के पहले दिन ही सरकार और विपक्ष के बीच ताकत दिखाने की राजनीति शुरू हो गई. विपक्ष अपने साथ संविधान की प्रति लेकर संसद आया था. विपक्ष के नेताओं ने संविधान की प्रतियां लहराते हुए संविधान बचाओ का नारा लगाया. सदन के बाहर भी समस्त विपक्ष ने एकजुटता का परिचय देते हुए हाथ में संविधान की प्रति लेकर प्रदर्शन किया. इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हिस्सा लिया. इसके अलावा सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपने सभी सांसदों के साथ इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया. विपक्ष ने नेताओं ने संविधान बचाओं का नारा लगाने के साथ ही नीट पर्चा लीक का मामला भी उठाया. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि क्या वजह है कि इस सरकार के शासनकाल में लगातार एक के बाद एक पर्चा लीक हो रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इधर-उधर की बात की. लेकिन मणिपुर से लेकर नीट पर्चा लीक तक पर वे चुप्पी साधे रहे. इसके साथ ही कांग्रेस ने रेलवे दुर्घटनाओं का मामला भी उठाया.
कांग्रेस ने कहा कि रेलवे सुरक्षा पर सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. क्या सरकार यह गारंटी दे सकती है कि आगे दुर्घटना नहीं होगी. इसके अलावा विपक्ष ने स्पीकर पद को लेकर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया. कांग्रेस ने कहा कि आखिर क्या वजह है कि वह स्पीकर पद अपने पास रखना चाहती है. उसे सहयोगी दलों को यह पद देने में क्या समस्या है. इसकी वजह यह है कि सरकार अपने सहयोगी दलों में तोड़फोड़ का लक्ष्य रखती है. ऐसे में उसे लगता है कि स्पीकर भाजपा से होना चाहिए. जिससे उसकी इस तरह के कदम को लेकर हंगामा न हो. जिस तरह से संसद में विपक्ष ने एकजुटता दिखाई. उसी तरह से सत्ता पक्ष ने भी कांग्रेस और विपक्ष के घेरने का प्रयास किया. सत्ता पक्ष ने कह कि संसद में चर्चा की जगह विपक्ष बाहर विरोध कर रहा है. जिससे साफ है कि उसके पास किसी भी मुददे पर बात करने के लिए तथ्यात्मक संदर्भ नहीं है. लेकिन सत्ता पक्ष विपक्ष के दबाव में नहीं आएगा सत्ता पक्ष के इस जवाबी बयान से यह साफ हो गया है कि संसद का यह सत्र आगे भी हंगामेदार रहने वाला है. विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने ही जो तेवर दिखाए हैं. उससे यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि आगे संसद में हंगामा जारी रहेगा.