मुंबई, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहीद हुए अग्निवीर एम मुरली नाईक की मां ज्योति बाई श्रीराम नाईक ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने यह याचिका नियमित सैनिकों के परिवारों की तरह डेथ बेनिफिट्स और फैमिली प्रोटेक्शन न मिलने के खिलाफ दायर की है. नाईक 9 मई 2025 को जम्मू और कश्मीर के पुंछ में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बॉर्डर पार से हुए ड्रोन हमले में शहीद हो गए थे.
रेगुलर सैनिकों के परिवारों की तरह मिले बेनिफिट
मुंबई निवासी नाईक मूल रूप से आंध्र प्रदेश के सत्य साईं जिले के गोरेंटला मंडल के एक छोटे से आदिवासी गांव कल्ली थांडा के रहने वाले थे. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वंचित नेता और यह एडवोकेट संदेश मोरे, एडवोकेट हेमंत घाडीगांवकर और एडवोकेट हितेंद्र गांधी के जरिए दायर की गई है. पिटीशनर ने सरकार से ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले रेगुलर सैनिकों के परिवारों की तरह अग्निवीर के परिवारों को भी सारे बेनिफिट्स दिए
जाने की मांग की है. इसमें बताया गया कि 10 मई को कमांडिंग ऑफिसर से एक शोक पत्र मिला था, जिसमें नाईक की बहादुरी, लीडरशिप और बिना स्वार्थ के सेवा की तारीफ की गई थी और कहा गया है कि उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा. लेकिन डेथ बेनिफिट्स और फैमिली प्रोटेक्शन का कोई जिक्र नहीं है.



