दिल्ली. भारत समेत दुनियाभर में नई पीढ़ी वर्क-लाइफ बैलेंस की मांग कर रही है, ताकि उन्हें काम के साथ-साथ जीवन जीने का मौका भी मिल सके. मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका मानना है कि भारतीयों को ज्यादा काम करने की जरूरत है. इसी कड़ी में एक बार फिर से इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर चल रही चर्चा में एंट्री हो गई है. मूर्ति ने फिर से हफ्ते में 72 घंटे काम करने की बात दोहराई है और इसकी तुलना चीन के ‘996 रूल’ से की है.
हफ्ते में 6 दिन सुबह 9 से रात 9 तक कामः चीन में लंबे समय तक कंपनियों में ‘996 रूल’ अपनाया जाता था. इसके तहत वर्कर को सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक ऑफिस में काम करना
नारायण मूर्ति ने दी विवाद को नई हवा
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में नारायण मूर्ति ने कहा कि लोगों को पहले अपनी जिंदगी सुधारनी चाहिए और फिर वर्क-लाइफ बैलेंस की बात करनी चाहिए. मूर्ति पहले भी हफ्ते में 72 घंटे काम करने की बात कर चुके हैं, जिसे लेकर उनकी काफी ज्यादा आलोचना की गई थी. इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपने पुराने बयान का बचाव किया और फिर से वही बात दोहराई. नारायण मूर्ति ने कहा, ‘पिछले साल कैटामेरन के सीनियर और मिडिल लेवल के स्टाफ चीन गए. उन्होंने वहां चीन के टियर 1, टियर 2 और टियर 3 शहरों का दौरा किया. वे लोग वहां पर टियर-3 तरह के होटल में रुके, क्योंकि हम चाहते हैं थे कि वे असली चीन को समझें और आप जानते हैं, वहां एक कहावत है, 9, 9, 6. जानते हैं इसका क्या मतलब है? सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन यानी हफ्ते में 72 घंटे काम.’ इस तरह मूर्ति ने फिर से हफ्ते में 72 घंटे काम की बात दोहराई.
पड़ता था, वो भी हफ्ते में 6 दिन. उसे सिर्फ हफ्ते में एक दिन की छुट्टी मिलती थी. चीन के टेक अरबपति जैक मा जैसे लोगों ने वर्कर्स को गुलाम बनाने वाले इस वर्क कल्चर को खूब प्रसारित किया. हालांकि, इसकी वजह जह से कर्मचारियों का
बड़े पैमाने पर शोषण भी हो रहा था। लोग काम करते-करते थक जा रहे थे और कुछ मामलों में तो लोग ऑफिस में ही बेहोश हो जाते थे. इस वर्क कल्चर की वजह से बहुत सारे लोग तो शहरों से गांवों की तरफ जाने लगे.



