भंडारा, नामांकन की अंतिम तारीख नज़दीक आते ही जिले की नगरपालिकाओं में चुनावी माहौल गर्माने लगा है. इस बार प्रचार खर्च की सीमा में बड़ी बढ़ोतरी की गई है और इस सीमा के बावजूद नगराध्यक्ष एवं नगरसेवक पदों के लिए बिग बजट खर्च की होड़ देखने को मिलेगी, ऐसा समग्र संकेत मिल रहा है. बदलती आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लागू की गई नई खर्च सीमा न सिर्फ उम्मीदवारों को आर्थिक राहत देती है, बल्कि प्रचार के स्वरूप में बदलाव और स्थानीय राजनीति के समीकरणों को भी
गति देने वाली साबित होगी. इस बार जिले में भंडारा, तुमसर, पवनी और साकोली-सेंदुरवाफा नगर परिषदों के चुनाव हो रहे हैं. कुल 49 प्रभागों में 100 नगरसेवक और 4 नगराध्यक्ष पदों के लिए मतदान होगा. इसमें भंडारा नगर परिषद-17
प्रभागों से 35 सदस्य, तुमसर-12 प्रभागों से 25 सदस्य, पवनी एवं साकोली सेंदुरवाफा से 10 प्रभागों से 20 सदस्य निर्वाचित होंगे. चारों स्थानों पर स्थानीय राजनीतिक समीकरण, जातीय वोट बैंक, प्रभागवार गणित और विभिन्न दलों की आंतरिक तैयारियों के कारण चुनाव अधिक संवेदनशील होते दिखाई दे रहे हैं. स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनावों में पारंपरिक प्रचार का महत्व आज भी कायम है, लेकिन नई पीढ़ी का प्रभाव और डिजिटल माध्यमों का व्यापक प्रसार इस चुनाव का चेहरा बदल रहा है.
वरिष्ठ और मध्यम आयु वर्ग के मतदाताओं के लिए घर-घर संपर्क, व्यक्तिगत मुलाकातें, छोटी-बड़ी सभाएं और रैलियां जैसे पारंपरिक तरीके जारी रहेंगे. इससे प्रचार का दोहरा स्वरूप और भी तीव्र होगा. कानूनी रूप से प्रचार खर्च का विवरण दर्ज करना अनिवार्य है, लेकिन वास्तविकता में अप्रत्यक्ष खर्च चुनाव प्रक्रिया का बड़ा एवं जटिल पहलू है. कई प्रभागों में कड़े मुकाबले के चलते प्रचार वाहन, भोजन व्यवस्था, कार्यकर्ताओं का संचालन, विभिन्न कार्यक्रमों की संरचना, मतदाता संपर्क के छोटे-बड़े आयोजन खर्चिले साबित हो रहे है. इन सभी पर होने वाला खर्च अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ सकता है. ऐसे में चुनावी तंत्र पर इन सभी गतिविधियों पर नजर रखना एक बड़ी चुनौती होगी, खासकर जहां स्थानीय दबाव समूह अधिक प्रभावी हैं.
सोशल मीडिया में बढ़ती प्रतिस्पर्धा
डिजिटल माध्यमों की ताकत को देखते हुए अधिकांश उम्मीदवार अपनी अलग डिजिटल टीम बनाने में जुट गए हैं. ग्राफिक्स निर्माण, वीडियो प्रोडक्शन, लाइव कार्यक्रम, वर्चुअल संवाद और पेड प्रमोशन जैसे क्षेत्रों में खर्च बढ़ना तय है. कुछ प्रभागों में डिजिटल प्रचार प्रत्यक्ष रूप से वोटों पर असर डालने वाला निर्णायक तत्व बन सकता है, ऐसा राजनीतिक हलकों का अनुमान है.
प्रशासन की तैयारी और सतर्कता: जिला चुनाव निर्णय अधिकारियों के अनुसार, नई खर्च सीमा से उम्मीदवारों को
श्रेणीनुसार खर्च सीमा अ वर्ग नगर परिषद नगराध्यक्षः 15,00,000 रुपये नगरसेवकः 5,00,000 रुपये
ब वर्ग नगर परिषद नगराध्यक्षः 11,25,000 रुपये नगरसेवकः 3,50,000 रुपये
क वर्ग नगर परिषद नगराध्यक्षः 7,50,000 रुपये नगरसेवकः 2,50,000 रुपये
प्रचार बेहतर तरीके से करने की सुविधा मिलेगी, लेकिन खर्च की निगरानी में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी.



