दिल्ली. 3आई/एटलस नाम का दूसरे सौर मंडल से आया एक दुर्लभ धूमकेतु अब हमारे सौरमंडल से गुजर रहा है. यह खगोलविदों को किसी अन्य तारे के आसपास बनने वाले पदार्थ की एक दुर्लभझलक प्रदान करेगा. खगोलशास्त्रियों के अनुसार 2017 में ‘ओउमुआमुआ’ और 2019 में ‘बोरिसोव’ के बाद यह अब तक खोजा गया तीसरा पिंड है, जो किसी दूसरे गैलेक्सी (सौर मंडल) से आया है. इस धूमकेतु का पहली बार 1 जुलाई 2025 को चिली स्थित क्षुद्रग्रह स्थलीय-प्रभाव अंतिम चेतावनी प्रणाली (एटलस) दूरबीन द्वारा पता लगाया गया था. ‘आई’ उपनाम इसे अब तक खोजे गए तीसरे दूसरे सौर मंडल से आए पिंड के रूप में पहचान देता है, जबकि ‘एटलस’ उस दूरबीन को बताता
है, जिसने इसे देखा था. नासा ने बाद में पुष्टि की कि धूमकेतु एक हाइपरबोलिक ऑर्बिट (अतिपरवलयिक कक्षा) का अनुसरण कर रहा है. इसका अर्थ है कि यह सूर्य से गुरुत्वाकर्षण से बंधा नहीं है और एक संक्षिप्त मार्ग अपनाने के बाद सौरमंडल को छोड़ देगा. यूरोपीय अंतरिक्ष
एजेंसी (ईएसए) के अनुसार धूमकेतु 19 दिसंबर को पृथ्वी के सबसे करीब से गुज़रेगा, जो लगभग 27 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होगा. यह एक सुरक्षित दूरी है और जिससे ग्रह को कोई खतरा नहीं है.
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अस्थिर पदार्थों से बना है एटलस
यह एक सक्रिय धूमकेतु है, जो सौर मंडल के धूमकेतुओं के समान अस्थिर पदार्थों से बना है. दूसरे सौर मंडल के विकिरण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से इसमें बदलाव आया है. प्रारंभिक स्पेक्ट्रोस्कोपिक रीडिंग कार्बन डाइऑक्साइड और धूल उत्सर्जन की उपस्थिति का संकेत देती है जो सूर्य की गर्मी से प्रेरित धूमकेतुओं के गैस उत्सर्जन व्यवहार के अनुरूप है. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के अवलोकनों पर आधारित एक अध्ययन से पता चला है कि धूमकेतु की सतह रासायनिक रूप से प्रोसेस्ड प्रतीत होती है, जिससे पता चलता है कि यह अरबों वर्षों से दूसरे सौर मंडलों से यात्रा कर रहा है.
(एक धातु) की वाष्प पाई गई हैं, जो सूरज से इतनी दूर जहां तापमान बहुत ठंडा है असंभव लगता है. 31 अक्टूबर और 4 नवंबर के बीच हुए नवीनतम अवलोकनों से पता चलता है कि सौर मंडल से टकराने के दौरान इस पिंड ने अपना द्रव्यमान काफी कम कर दिया है.



