जिले को गीला अकाल घोषित करें
भंडारा जिला धान उत्पादन के लिए जाना जाता है, लेकिन इस वर्ष लगातार बारिश और बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है. अगस्त महीने में हुई अतिवृष्टि और बाढ़ से जिले के कई गांवों में फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई. किसानों की नर्सरी और बुआई बह गई, जिससे उन्हें दोबारा खेत तैयार कर दुबारा बुआई करनी पड़ी. इस कारण उत्पादन में भारी गिरावट और खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जिससे किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं. इसी बीच, जब धान की फसल कटाई के लिए तैयार थी, तब 26 अक्टूबर से शुरू हुई बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर फिर पानी फेर दिया.
बारिश से धान, सोयाबीन, कपास और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो गईं. ग्रामीण इलाकों में खेतों के साथ-साथ रास्ते, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, सरकारी इमारतें और जलस्त्रोत भी नुकसानग्रस्त हुए हैं. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के नेतृत्व में मुख्यमंत्री
देवेंद्र फडणवीस को जिला प्रशासन के माध्यम से निवेदन सौंपा गया. इसमें मांग की गई है कि भंडारा जिले को ‘गीला अकालग्रस्त’ घोषित किया जाए, किसानों को प्रति हेक्टेयर 1 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता दी जाए, जिले के लिए विशेष आर्थिक सहायता पैकेज घोषित किया जाए, नुकसानग्रस्त किसानों के पंचनामे कर शीघ्र मुआवजा वितरित किया जाए, और सरकारी व सार्वजनिक इमारतों
की मरम्मत के लिए विशेष निधि जारी की जाए. इस दौरान प्रमुख रूप से सांसद डॉ. प्रशांत पडोले, प्रदेश उपाध्यक्ष अनिस अहमद, जिलाध्यक्ष मोहन पंचभाई, जि.प. अध्यक्ष कविता उके, शीतल राऊत, जय डोंगरे, जयश्री बोरकर, अमर रगडे, प्रेम वनवे, प्यारेलाल वाघमारे, मनीषा निंबातें, अभिजीत वंजारी, रिजवान काजी, दिलीप मासुरकर, धनराज साठवने सहित अनेक पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे.



