पवनी (भंडारा)
उमरेड-पवनी- करांडला अभयारण्य की शुरुआत हुए काफी समय हो गया है, लेकिन अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले 12 गांवों का पुनर्वास नहीं होने से ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। यदि भविष्य में पुनर्वास और मुआवजा नहीं दिया गया, तो ग्रामीण बेमियादी भूख हड़ताल करने के लिए तैयार है। प्रभावित लोगों ने पुनर्वास की मांग को लेकर जिलाधिकारी, नागपुर के उप संचालक पेंच टाइगर प्रोजेक्ट, उप-विभागीय अधिकारी, तहसीलदार और वन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने 10 दिनों के भीतर उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर भूख हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। जिन 12 गांवों का पुनर्वास नहीं हुआ है, उनमें खापरी, परसोड़ी, चिचगांव, जोगीखेड़ा, रीठी, पाऊणगांव, हमेशा, आवल और अन्य गांव शामिल हैं। उमरेड पवनी करंडला अभयारण्य के अस्तित्व में
पुनर्वास नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा, भूख हड़ताल की चेतावनी दी
जिलाधिकारी, उप संचालक पेंच टाइगर प्रोजेक्ट, वन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा
ये हैं मांगें
संबंधित गांवों को जुलाई 2012 और 2023 में जारी अधिसूचना के अनुसार तुरंत पुनर्वासित किया जाए। भूमि अधिग्रहण दरों की तुरंत घोषणा की जाए। ग्राम मुख्यालयों का पुनर्वास किया जाए। अधिग्रहित गांवों के बेरोजगार युवाओं को वन्यजीव कार्यालय के माध्यम से मौसमी मजदूरों के रूप में रोजगार प्रदान किया जाए। युवाओं को शैक्षणिक योग्यता के अनुसार प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। प्रत्येक परिवार को 25 लाख रुपये का पैकेज दिया जाए। उमरेड-पवनी-करांडला के किसानों और ग्रामीणों को परियोजना प्रभावित प्रमाण पत्र दिए जाएं।
हमने कई बार ज्ञापन दिए
हमने कई बार ज्ञापन दिए हैं। अनुरोध किए गए हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया है। अगर अब भी ध्यान नहीं दिया तो हमारे पास सड़कों पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
विठ्ठल नारनवरे, अध्यक्ष पंचायत समिति, पवनी
आने के बाद से उम्मीद थी कि गांव के लोगों के जीवन स्तर में बदलाव आएगा। लेकिन यहां तस्वीर अलग निकली। अंतहीन कठिनाइयों का सामना करना
पड़ता है। इस गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। पीने का साफ पानी नहीं है, ग्राम पंचायत कार्यालय नहीं हैं। स्कूल भवन नहीं है। इस दौरान पंचायत समिति
अध्यक्ष विठ्ठल नारनवरे, हरीश तलमले, अरुण आसई, बबलू वाघमारे, गुलाब आसई, आनंदराव माहुरे उपस्थित थे।
