लाखनी: राज्य को हिला कर रख देने वाले करोड़ों रुपये के प्राचार्य पद घोटाले में शिक्षा उपसंचालक की गिरफ्तारी के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है. इस घोटाले में अनुभवहीन शिक्षकों को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर प्राचार्य पद देकर सरकार को ठगा गया, इसी मामले में तहसील की एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल के प्राचार्य की गिरफ्तारी के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या तहसील की अन्य निजी स्कूलों में भी इसी प्रकार की अनियमितताएं हुई हैं? इसकी गहराई से जांच पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए. तहसील में इस मुद्दे को लेकर चर्चा है. कुछ शिक्षकों ने कथित रूप से पांच वर्ष का झूठा अनुभव प्रमाणपत्र प्राप्त कर, संस्था प्रमुखों के नजदीकी रिश्तेदारों को लाखों रुपये में प्राचार्य पद दिलाया है. एक संस्था प्रमुख द्वारा अपने पुत्र को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राचार्य नियुक्त किया गया, तो किसी अन्य प्रमुख ने अपनी पुत्री को प्राचार्य बनाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए, ऐसी बातें सामने आ रही हैं. इतना ही नहीं, कुछ प्राचार्य तो अपने जिले से बाहर रहते हुए स्कूल का प्रशासन चला रहे हैं, यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
कई प्राचार्य भूमिगत हो गए: अनुभव और पात्रता न होने के बावजूद लालच में आकर शासकीय नियमों को ताक पर रखकर कुछ लोगों को प्राचार्य पद मान्यता दी गई. इससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस शिक्षक भर्ती पोटाले की उच्चस्तरीय जांच का आदेश देकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की नीति अपनाई है. इसी के चलते कई प्राचार्य भूमिगत हो गए हैं और कभी भी उन पर गिरफ्तारी की कार्रवाई हो सकती है. इस डर के चलते वे इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार, कुछ संस्था प्रमुखों ने स्कूल नियमावली का दुरुपयोग कर अपने करीबियों को प्राचार्य पद पर नियुक्त कर शासन के लाखों रुपये हड़प लिए. उपसंचालक व कुछ प्राचायों की गिरफ्तारी के बाद अब नव-नियुक्त प्राचायों में हड़कंप मच गया है. कई लोग अग्रिम जमानत के लिए प्रख्यात विधिवेताओं के पास चक्कर काटते नजर आ रहे हैं, जनता की मांग है कि ऐसे घोटालेबाज प्राचायों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.