अमरावती: जिले के संतरा उत्पादक क्षेत्रों में भी किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं. स्थायी उपाय करने के अलावा आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को तत्काल सहायता प्रदान करना भी आवश्यक है. इसके लिए सभी एजेंसियों को इन जरूरतमंद किसानों तक पहुंचना चाहिए और उन्हें योजनाओं का लाभ प्रदान करना चाहिए. यह आह्वान वसंतराव नाईक किसान स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष एड. नीलेश हेलोंडे ने किया. उन्होंने बताया कि सरकारी योजना से अवैध साहुकारों के पास गिरवी रखी 18 हेक्टेयर जमीन किसानों को वापिस मिली है. जिलाधिकारी कार्यालय में किसानों की मदद करने वाली योजनाओं की समीक्षा की गई. इस अवसर पर जिलाधीश सौरभ कटियार, अतिरिक्त जिलाधीश विवेक जाधव, निवासी उपजिलाधीश अनिल भटकर आदि उपस्थित थे. एड. हेलोंडे ने कहा कि किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएं हैं. कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा प्रकल्प काम कर रहा है. इससे किसानों की मानसिकता में बदलाव संभव हो सकेगा. किसानों की मानसिकता का अध्ययन करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से सर्वेक्षण कराए जाने की आवश्यकता है. इसके लिए उचित कदम उठाए जाएंगे. जिले में आत्महत्या करने वाले किसान परिवारों की संख्या केवल 232 है. इसलिए अधिकारियों को प्रत्येक घर का दौरा कर उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देनी चाहिए. आत्महत्या से प्रभावित परिवारों के युवाओं को प्राथमिकता देना तथा उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है. आरएसईटीआई के माध्यम से कौशल विकास और अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. इसका उपयोग करके वे तत्काल आय का स्रोत प्राप्त कर सकेंगे. इस योजना के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ग्राम स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए. इसके साथ ही किसानों को राशन का अनाज मिले, जंगली जानवरों पर नियंत्रण के उपाय किए जाएं, ऋण की सुविधा दी जाए, किसानों के लिए योजनाओं का लाभ दिया जाए तथा सभी बाजार समितियों में इलेक्ट्रॉनिक तराजू अनिवार्य कर दिया जाए तो किसानों के साथ धोखा नहीं होगी. साथ ही अवैध साहूकारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और जमीन मूल मालिक को वापस की जाए. उन्होंने बताया कि अब तक 18 हेक्टेयर भूमि किसानों को वापस कर दी गई है, जो एक स्वागत योग्य प्रगति है. आने वाले दिनों में इस प्रक्रिया की गति बढाई जानी चाहिए.