नागपुर:केंद्र और राज्य सरकार की नीति के अनुसार राज्य के हर जिले में विमानतल बनाया जाना चाहिए. विदर्भ के 11 जिलों में से नागपुर जिला समेत 6 जिलों में विमानतल बने हुए हैं. एक नागपुर विमानतल को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी विमातनलों से नियमित विमानसेवा शुरू नहीं हो पाई है. अब जनता को इंतजार है कि इन विमानतलों का कब उद्धार होगा. अब समय आ गया है कि जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के विमानतलों से नियमित सेवा आरंभ कराने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगाना पड़ेगा. केवल अफसरों के भरोसे न बैठते हुए स्वयं अपनी राजनीतिक ताकत झोंकनी पड़ेगी, तब जाकर ही छोटे शहरों के लोगों को विमानसेवा का लाभमिल सकेगा. सवाल यह उठता है कि जब विमानतल बन ही गए हैं तो उन्हें शुरू क्यों नहीं किया जा रहा. जनप्रतिनिधियों के साथ सरकार को भी इस दिशा में सकारात्मक पहल करनी पड़ेगी.
यवतमाल के लोगों के सपने कब पूरे होंगे: यवतमाल हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण, रखरखाव और मरम्मत के लिए समझौते के बाद यवतमाल निवासियों को उम्मीद थी कि बेहतर हवाई सेवाएं उपलब्ध होगी. लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ. रिलायंस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से यवतमाल हवाई अड्डे का परिचालन ठप्प पड़ा है. राज्य सरकार की नीति देश के हर जिले में एक हवाई अड्डा बनाने की है. तदनुसार, यवतमाल हवाई अड्डे का निर्माण 1998 में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम द्वारा किया गया था. इस हवाई अड्डे का उपयोग केवल सरकारी विमानों के लिए किया जाता था. इसके बाद, हवाई यातायात बढ़ाने के उद्देश्य से, महाराष्ट्र राज्य उद्योग मंत्रालय ने 2006 में एमआईडीसी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की
अधर में लटका चंद्रपुर विमानतल: चंद्रपुर जिले के राजुरा तहसील में विमानतल प्रस्तावित है. यह भी बंद अवस्था में पड़ा हुआ है यदि कोईND • परियोजना राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण रुकी हुई है, तो इसे स्थानीय प्रतिनिधियों की विफलता कहा जा सकता है. चंद्रपुर जिले में हवाई अड्डे की तत्काल आवश्यकता है. इसे ध्यान में रखते हुए तत्कालीन मंत्रीसुधीर मुनगंटीवार ने इसके लिए प्रयास किए. 2018 में राजुरा तालुका के मूर्ति में एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए मंजूरी दी गई थी. मुनगंटीवार ने परियोजना के लिए 46 करोड़ रुपये की निधि मंजूर की. पूर्व विधायक एडवोकेट संजय धोटे ने मूर्ति क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया शुरू की. स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया गया. किसानों ने अपने क्षेत्र के विकास के उद्देश्य से सहयोग किया. बावजूद इसके विमानतल निर्माण की दिशा में कोई खास हलबल नहीं दिखाई दे रही है.
अकोला में रुका रनवे का विस्तार: अकोला शहर में शिवनी विमानतल का निर्माण किया गया है, मगर यहां पर स्नवे का विस्तार नहीं होने से बड़े विमान उड़ान नहीं भर सकेंगे. ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य और केंद्र सरकार ने अकोला हवाई अड्डे के विकास की उपेक्षा की है. बड़े यात्री विमानों के आवागमन के लिए अकोला हवाई अड्डे पर रनवे का विस्तार करने का प्रस्ताव है. पिछले दशक में इस विषय पर विभिन्न स्तरों पर चर्चा होती रही है. डा. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जमीन देने का फैसला किया गया है, मगर भूमि के हस्तांतरण के लिए कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई. इस हवाई अड्डे को ‘उड़ान’ योजना के माध्यम से विकसित करने का प्रस्ताव था. बावजूद इसके बात आगे नहीं बढ़ी इससे अब अकोला हवाई अड्डे की उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं. इसलिए, लगता है कि भविष्य में अकोलावासियों को हवाई यात्रा के लिए नागपुर, अमरावती और औरंगाबाद पर ही निर्भर रहना पड़ेगा