BHANDARA : में पानी की तलाश में वन्यजीव गांव की ओर आते हैं।जिससे मानव वन्यजीव संघर्ष निर्माण होता है। मानव वन्यजीव संघर्ष टालने के लिए जिले के जंगलव्याप्त परिसर में करीब 110 प्राकृतिक जलाशयों के अलावा अतिरिक्त 480 कृत्रिम जलाशयों का निर्माण किया गया है। जिसके माध्यम से जंगली जीव ग्रीष्मकाल में अपनी प्यास बुझायेंगे और वन्यजीवों की तृष्णातृप्ति होगी।

भंडारा जिले में बड़े पैमाने पर वनव्याप्त परिसर है। जिले में भंडारा तहसील के तहत कोका वन्यजीव अभयारण्य है। साकोली तहसील के अंतर्गत नवेगांव नागझिरा अभयारण्य का कुछ हिस्सा आता है। वैसे ही पवनी तहसील के अंतर्गत उमरेड करांडला अभयारण्य का कुछ हिस्सा आता है। इसके अलावा तुमसर मोहाडी, लाखांदुर तहसील में भी बडे पैमाने पर जंगलव्याप्त क्षेत्र है। इस सभी जंगलव्याप्त परिसर से सटे गांवो में पानी की से लेकर शिकार की तलाश में वन्यजीव गांव की ओर आते है। ऐसे में पालतू जानवरों का शिकार तो कभी इन्सानों को भी उसकी कीमत चुकानी पडती है। जिससे नागरिकों के रोष का सामना वनविभाग को करना पडता है। पिछले कुछ माह पूर्व बाघ के हमलों में इन्सानों को अपनी जान गंवानी पडी जिससे परिसर के नागरिकों के रोष का वनविभाग को सामना करना पड़ा था। ऐसे घटनाओं का संज्ञान लेकर वनविभाग ने सतर्कता के तौर पर पहले ही ग्रीष्मकालीन उपाययोजना करते हुए 480 कृत्रिम जलाशयों का निर्माण किया है।