दिल्ली : उत्तर भारत के बड़े हिस्से में छाए बादलों ने सौर ऊर्जा उत्पादन में अचानक गिरावट ला दी है, जिससे लाखों भारतीयों के घरों को रोशनी देने वाले पावर ग्रिड की स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. संभवतः यही वजह है कि राष्ट्रीय ग्रिड ऑपरेटर ने फरवरी में सभी बिजली कंपनियों से अलर्ट मोड पर रहने और ग्रिड की स्थिरता को बनाए रखने के लिए बिजली की आपूर्ति करने को कहा था. बिजली उत्पादन में गिरावट के कई उदाहरण हैं, जिससे ग्रिड पर दबाव पड़ता है. फरवरी के मध्य में. यह अपेक्षित सीमा से नीचे 49.5 हर्ट्ज पर पहुंच गया, जिससे चिंता बढ़ गई. जानकार कहते हैं कि किसी आपातकालीन संकट से बचने के लिए अक्षय ऊर्जा और अन्य स्रोतों मुख्य रूप से कोयले के मामले में संतुलन बनाने की आवश्यकता है. ग्रिड फ्रीक्वेंसी बिजली नेटवर्क की स्थिरता का एक प्रमुख संकेतक है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्रिड सुचारू रूप से कार्य करता है. इसे 49.9-50.2 हर्ट्ज के एक तंग बैंड के भीतर रहना चाहिए. बिजली उत्पादन या मांग में अचानक परिवर्तन फ्रीक्वेंसी को असंतुलित कर संभावित रूप से ग्रिड को अस्थिर कर सकता है. ऐसा होने पर अंततः इसकी परिणिति चरम मामलों में विशाल क्षेत्रों में बिजली के गुल होने के रूप में हो सकती है. फरवरी में कई बार ग्रिड की आवृत्ति सुरक्षित स्तर से नीचे गिर गई.