विधानसभा चुनाव 2024 में गेमचेंजर साबित हुई ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण’ (लाडली बहन) योजना के कारण राज्य सरकार के वित्तीय बोझ में भारी वृद्धि हुई है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार अब इस योजना के लाभार्थी महिलाओं की पात्रता की दोबारा समीक्षा कर रही है।
योजना का लाभ सही पात्र महिलाओं तक सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने हर साल ई-केवाईसी अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा, उन महिलाओं की पहचान के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं, जो इस योजना के मानदंडों को पूरा नहीं करतीं। इसके लिए राज्य सरकार ने आयकर विभाग से लाभार्थी महिलाओं के पैन कार्ड डेटा की मांग की है ताकि उनकी आय की जांच हो सके। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने इस संबंध में दो महीने पहले आयकर विभाग को पत्र भेजा था, लेकिन सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग इस जानकारी को साझा करने में देरी कर रहा है, जिससे जांच कार्य प्रभावित हो रहा है।
इस योजना के तहत 6 करोड़ 63 लाख महिलाओं का पंजीकरण हुआ था और प्रत्येक महिला को ₹1,500 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जा रही है। लेकिन जांच में पाया गया है कि कई महिलाएं ‘नमो किसान सम्मान योजना’ और दिव्यांगजन विभाग की अन्य योजनाओं का लाभ भी ले रही हैं, जिससे योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।

राज्य सरकार अब लाभार्थियों की संख्या को सीमित करने के लिए सख्त कदम उठा रही है, ताकि केवल सही पात्र महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिले और सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ न पड़े।