दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) सत्ता से बाहर हो गई है, जबकि कांग्रेस एक बार फिर कोई सीट हासिल नहीं कर पाई। इस परिणाम का प्रभाव न केवल दिल्ली में, बल्कि अन्य राज्यों में भी महसूस किया जा रहा है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में दरार की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहां उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने कांग्रेस को दिल्ली की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
शिवसेना (UBT) का दावा है कि AAP गठबंधन के लिए तैयार थी, लेकिन कांग्रेस ने इसमें रुचि नहीं दिखाई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पार्टियों को अकेले चुनाव लड़ना पड़ा और हार का सामना करना पड़ा। यह दावा अरविंद केजरीवाल और आदित्य ठाकरे के बीच हुई बातचीत के आधार पर किया गया है।
शिवसेना (UBT) का कांग्रेस के प्रति यह आक्रामक रुख आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के संदर्भ में देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में मुंबई सहित कई शहरों में निकाय चुनाव होने वाले हैं, और सीटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना (UBT) कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। एनसीपी का जनाधार मुख्यतः मराठवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में है, इसलिए स्थानीय निकाय चुनावों में शिवसेना (UBT) और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा की संभावना अधिक है।
पिछले सप्ताह, आदित्य ठाकरे और संजय राउत ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी से मुलाकात की थी, जो इन राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
दिल्ली चुनाव परिणामों के अनुसार, भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर 27 वर्षों बाद सत्ता में वापसी की है, जबकि AAP 22 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि दिल्ली चुनाव के नतीजों का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ रहा है, विशेषकर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन के भीतर।