मणिपुर में बीते 21 महीनों से चल रही हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार की शाम राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनके साथ भाजपा विधायक भी थे। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्यपाल की अनुशंसा पर अपनी मंजूरी दी।
बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से रविवार सुबह मुलाकात की थी और इसके लिए दिल्ली में विशेष विमान से पहुंचे थे। बताया जाता है कि अमित शाह ने बीरेन सिंह को निर्देश दिया था कि वे इंफाल में अपने विधायकों के साथ बैठक करें और इसके बाद राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दें।
कांग्रेस और राज्य के अन्य विपक्षी दलों की तरफ से लंबे समय से बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। जदयू के विधायकों ने भी हाल ही में भाजपा के खिलाफ समर्थन वापसी का ऐलान किया था, हालांकि नीतीश कुमार की दखलअंदाजी के बाद जदयू विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था।
इस समय मणिपुर की राजनीतिक स्थिति बेहद संवेदनशील हो गई थी। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। भाजपा की तरफ से राष्ट्रपति शासन को अंतिम उपाय के रूप में देखा गया, जिसे अब लागू किया जा चुका है। इस कदम ने राज्य में राजनीतिक संकट को और भी गहरा कर दिया है, जिससे मणिपुर के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।