नागपुर : चंद्रपुर जिले में दुर्गापुर डीप एक्सटेंशन ओपनकास्ट प्रोजेक्ट के खुले खनन के लिए वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को 374.90 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया. इस भूमि पर कुल 25,587 पेड़ हैं. रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर की रिपोर्ट के अनुसार इन पेड़ों की क्षति होगी. इस वजह से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए प्रकृति फाउंडेशन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. पूरे मामले पर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा कि वन विभाग इस मामले को बहुत ही असंवेदनशील तरीके से संभाल रहा है क्योंकि अधिनियम में पेड़ों की कटाई के लिए बाद में अनुमति देने का कोई प्रावधान दिखाई नहीं देता है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की. याचिकाकर्ता की ओर से अतिरिक्त हलफनामा दायर करते हुए बताया गया कि ताडोबा टाइगर रिजर्व के दक्षिण हिस्से में भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई होते देखा गया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि लौह अयस्क खनन के लिए कम्पनी ने 475 हेक्टेयर वन भूमि के परिवर्तन की मांग की थी किंतु कम्पनी को 374.90 हेक्टेयर वन भूमि को परिवर्तन की अनुमति दी गई. वन भूमि के उपयोग में शुरुआत में 25,587 पेड़ों को गिराने की अनुमति दी गई थी. यह स्वीकृत स्थिति है कि नोडल अधिकारी अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक की देखरेख में की गई वृक्ष कटाई वास्तविक रूप में सक्षम प्राधिकारी द्वारा कटाई के लिए दी गई अनुमति से अधिक है. इस अवैध कृत्य को लेकर वन विभाग की ओर से कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया जा रहा है क्योंकि वन विभाग को पेड़ों की कटाई को रोकना और विनियमित करना था.