सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा नियमित और अग्रिम जमानत आवेदनों को डिवीजन बेंच द्वारा सुनने की प्रथा पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने पूछा कि जब अन्य हाईकोर्ट में ये मामले एकल जज द्वारा सुने जाते हैं, तो कलकत्ता हाईकोर्ट में डिवीजन बेंच क्यों सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की बेंच ने इस मुद्दे को उठाया, खासकर तब जब जमानत आवेदन की संख्या अधिक है और लंबित मामलों का बोझ भी भारी है।
कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि क्या दो न्यायाधीशों को नियमित जमानत मामलों में समय देना उचित है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से इस प्रथा पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही 2024 में दायर जमानत आवेदनों की जानकारी भी मांगी है।

यह निर्देश उस विशेष अनुमति याचिका पर जारी किया गया, जिसमें एक हत्या मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने के खिलाफ निर्णय लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए सवाल उठाया कि क्या उच्च न्यायालयों में समान प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है या नहीं।