महाकुंभ में इस बार हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले गीता प्रेस के पंडाल में आग लगी, जिससे वहाँ भारी नुकसान हुआ। इसके बाद मौनी अमावस्या के दिन, एक बड़ी भगदड़ में 40 लोगों की जान चली गई। लेकिन हादसों का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। अगले ही दिन, गुरुवार को दोपहर के समय सेक्टर 22 के पास आग लग गई। इस आग से 20 से ज्यादा टेंट जलकर राख हो गए।
इस बार आग छतनाग घाट, नागेश्वर घाट और सेक्टर 22 के पास स्थित टेंट सिटी में लगी। यह आग विशेष रूप से प्राइवेट कंपनी द्वारा लगाए गए वैदिक टेंट सिटी में लगी। हालांकि, राहत की बात यह है कि इस आग के कारण किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। वहीं, डोम सिटी में भी एक डोम पूरी तरह से जलकर राख हो गया। घटना की जानकारी देते हुए चीफ फायर ऑफिसर प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि आग किस कारण से लगी, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन प्रारंभिक जांच में यह माना जा रहा है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी।
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में इस तरह की घटनाएँ सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाती हैं। आग की घटनाओं के बावजूद, आयोजकों द्वारा उचित सुरक्षा इंतजामों की कमी की वजह से लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इन घटनाओं से सबक लेकर भविष्य में इस तरह के आयोजनों के लिए बेहतर सुरक्षा व्यवस्था और फायर सेफ्टी के उपायों की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के हादसों से बचा जा सके और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
