गोंदिया : एलपीजी जीवनावश्यक जरूरतों में शामिल है. घरों में 14.2 किलो वाले रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होता है. जब एलपीजी सिलेंडर लेते हैं तो क्या देखते हैं ? अधिकतर लोग एक अच्छा साफ-सुथरा सिलेंडर देख कर ले लेते हैं और सिलेंडर पर मोटे अक्षर में लिखा रहता है इसलिए वजन करने की ओर कोई ध्यान नहीं देता है. लेकिन एलपीजी सिलेंडर लेते वक्त ग्राहकों को सावधानियां बरतनी चाहिए. घरों में इस्तेमाल की जाने वाली रसोई गैस सिलेंडर में एलपीजी यानी लिक्विड पेट्रोलियम गैस भरा होता है. इस गैस का वजन 14.2 केजी होता है. बाकी सिलेंडर का वजन 15 से 18 केजी के आसपास होता है. सिलेंडर का वजन उस पर मोटे अक्षरों में अंकित रहता है. अगर सिलेंडर का वजन 15.8 किलो है तो गैस समेत उसका कुल वजन 30 किलो होना चाहिए. लेकिन कई बार वजन पक्का नहीं होता. यानी सिलेंडर में कम गैस होती है. यह जानना जरूरी है कि एजेंसी से लेकर अलग-अलग तेल कंपनियों की फ्रेंचाइजी लेने वाले गैस सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूटर्स, उनके यहां काम कर रहे कर्मी या फिर प्राइवेट विक्रेता ठग सकते हैं व उपभोक्ताओं की कम जानकारी का फायदा उठाकर उन्हें चूना लगाते है. इसलिए सिलेंडर तौलकर ही लेना चाहिए. एजेंसी के गोदाम और घर डिलीवरी के दौरान सिलेंडर वजन करने के साथ-साथ पूरी तरह जांच करने के बाद ही डिलीवरी देने का नियम है. ऐसे में उपभोक्ताओं को सिलेंडर तौलकर डिलीवरी करना अनिवार्य है. अगर सिलेंडर तौलकर न दिया जाए तो गैस एजेंसी में इसकी शिकायत कर सकते हैं. इतना ही नहीं सीधे तेल कंपनियों को भी इसकी शिकायत की जा सकती है. एक ग्राहक ने बताया कि गैस सिलेंडर पर मोटे अक्षर में लिखा रहता है, इसलिए वजन करने की ओर कोई ध्यान नही देता हैं. कई बार कम गैस रहती है. जब गैस सिलेंडर वाहन से घर तक पहुंचाते हैं उनके पास कोई वजन काटा नहीं होता, बिना वजन करके की ही दिया जाता है. इसलिए सतर्कता जरूरी है.