मुंबई : आटा मिलों की मजबूत मांग के बीच घटती आपूर्ति के कारण गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई. रिकॉर्ड कीमतों से खुदरा महंगाई बढ़ने की संभावना है. महंगाई बढ़ी तो व्याज दर में कटौती के आरबीआई के फैसले को प्रभावित कर सकती है. आटा मिलों के मुताबिक बाजार में गेहूं की आपूर्ति सीमित है. रिकॉर्ड कीमतें चुकाने के बाद भी आटा मिलें पूरी क्षमता से काम करने में सक्षम नहीं हैं. दिसंबर में सरकार ने अनाज की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कारोबारियों के लिए भंडार की सीमा कम कर दी थी. हालांकि सरकार का यह तरीका कीमतों को कम करने में विफल रहा. सरकार के उपरोक्त फैसले के बाद भी दिल्ली में गेहूं की कीमतें लगभग 33,000 रुपये प्रति टन पर कारोबार कर रही हैं. अप्रैल में यह 24,500 रुपये से अधिक थीं. साथ ही पिछले सीजन की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 22,750 रुपये से भी काफी ज्यादा थी. मिल मालिकों का कहना है कि भंडारण सीमा आपूर्ति में सुधार करने और कीमतों को नीचे लाने में विफल रही. इससे पता चलता है कि निजी कंपनियों के पास कुछ आपूर्ति है और सरकार को अपने भंडार से थोक ग्राहकों को अधिक गेहूं बेचने की जरूरत है.