भंडारा : दिवाली के पश्चात कृषि कार्य समाप्त होने के बाद ग्रामीण इलाकों में कृषि संस्कृति से जुड़ा एक बहुत ही प्रिय और आनंददायक खेल है बैलों का ‘शंकरपट’. आमतौर पर जनवरी महीने में जिले के विभिन्न गांवों में इस खेल का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इस खेल से न केवल मनोरंजन होता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लाखों का लेनदेन शी नोना है और कई लोगों को गेज थी मिलता है. शंकरपट केवल एक खेल नहीं, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्र की परंपरा भी है. बैलगाड़ी रेस की लगभग 300 साल पुरानी परंपरा है. जिले के कई गांवों में जनवरी महीने में शंकरपट का आयोजन किया जाता है. दिसंबर माह के अंत होते ही पट के आयोजन की तैयारियां शुरू नां शुरू हो जाती हैं. जिले के कई गांवों में पहले से ही पट के लिए स्थान सुरक्षित किए जाते हैं, और महीनों पहले ही पट के आयोजन की तिथि तय की जाती है. जिस गांव में शंकरपट का आयोजन होता है. वहां के लोगों में एक उत्साह का माहौल होता है. आसपास के सभी स्कूलों के बच्चों को पट देखने के लिए छुट्टी दी जाती है, और पट वाले गांव और उसके आसपास के घरों में मेहमानों का आना-जाना लगा रहता है. शंकरपट केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी काफी बढ़ावा मिलता है. यह पट कम से कम दो दिन और अधिकतम तीन से चार दिन तक चलता है.