साकोली : रापनि की बस में महिलाओं को 50 फीसदी सहूलियत मिल रही है. बसों में महिला यात्रियों से आधी टिकट ली जा रही है. इसके अलावा निजी बसों में भी महिलाओं से 50 फीसदी राशि ही ली जा रही है. महिलाएं रापनि की बसों में ही सर्वाधिक सफर कर रही हैं, जिसका विपरीत प्रिणाम काली-पीली वाहन चालकों पर हो रहा है. वहीं इन वाहनधारकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. साकोली तहसील में प्रतिदिन अनेक काली-पीली वाहन यात्रियों को विभिन्न मार्गों पर ले जाते हैं. एसटी बसों का शेड्यूल सही नहीं होने से काली-पीली वाहन चालकों को इसका फायदा मिल रहा था, जिससे सभी रूटों पर क्षमता से अधिक यात्रियों को ले जाया जा रहा था. अवैध परिवहन के प्रति पुलिस व उपक्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के सतर्क न रहने के कारण पिछले कई वर्षों से यात्रियों संकट का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन अब बसों में महिलाओं को सहुलियत मिली है, जिससे काली-पीली वाहनों पर काफी कम महिलाएं सवार होते नजर आ रही है. एसटी में महिलाओं के लिए आधी टिकट शुरू होने के बाद से यात्रियों ने निजी परिवहन से मुंह मोड़ लिया है. तहसील और जिला मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्रों में यात्रियों को ले जाने वाले वाहनों के चालकों को यात्रियों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसको लेकर काली-पीली वाहन चालकों ने जनप्रतिनिधि के समक्ष अपनी आपबीती सुनाई. इस पर कोई समाधान सुझाने का अनुरोध किया. जनप्रतिनिधियों ने सरकार के फैसले के बारे में बात करने से परहेज किया. तहसील में बड़े उद्योग नहीं होने के कारण बेरोजगारों ने काली-पीली को रोजगार का साधन बना लिया था. बैंक से लाखों रुपये का ऋण लेकर वाहन खरीदे यात्री परिवहन से होने वाली आय से बैंक ऋण की किस्तें रख-रखाव, मरम्मत, डीजल खर्च किया जा रहा था. लेकिन अभी बेरोजगारी का संकट खड़ा कर दिया है. कई लोगों ने तो अपनी गाड़ियां तक बेच दी हैं. कई गाड़ियों को खरीदने के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं.