गोंदिया : अनेक ग्रामों के श्मशान घाटों को मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है. शासन ने गांव वहां श्मशान घाट यह संकल्पना अमल में लाई है इसके बावजूद जिले में 76 ऐसे गांव है जहां यह मूलभूत सुविधा अब भी उपलब्ध नहीं है. श्मशान घाट नहीं होने से लोगों को अपने किसी परिजनों की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार करने के लिए बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और मजबूरी में खुली जगह या नदी नालों के किनारे अत्यविधि की जाती है. मृतकों की अंत्येष्टि के लिए प्रत्येक गांव में श्मशान घाट होना आवश्यक है. इसके लिए शासन द्वारा निधि भी मंजूर किया जाता है. मृत्यु के बाद मानवी देह की अवहेलना न हो, आखरी यात्रा सुलभ हो ऐसी सभी की अपेक्षा होती है लेकिन जिले के 931 ग्रामें में से 76 ग्रामों में श्मशान घाट नहीं होने से यहां अत्यंविधि के लिए नदी या नालों का सहारा लेना पडता है. ग्रामीणों को हर मौसम में शव के दाह संस्कार के लिए जोखिम उठाना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी बारिश के मौसम में होती है. यह बात प्रशासन के ध्यान में ला दी गई लेकिन अब तक कोई परिणाम नहीं निकला. अगर बारिश के दिनों में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो जलाने की बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है. लकड़ी से ज्यादा केरोसिन, कपड़ों और टायर के इंतजाम की चिंता करनी पड़ती है. परिजनों के लिए मौत के गम से कहीं बड़ी शव दाह की चुनौती होती हैं. गिली लकड़िया चिता की आग नहीं पकड़ती है. ऐसे में केरोसिन और टायर से दाह संस्कार करना पड़ पड़ता है.