एंटीबायोटिक बना रहा कर्जदार
दिल्ली: टिक प्रतिरोध इस हद तक बढ़ गया है कि लोगों को इलाज की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत का भुगतान करने के लिए पैसे उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. अंतर्राष्ट्रीय मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे ओपन’ में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि कुछ एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु संक्रमणों के निजी अस्पताल उपचार में दवा-अतिसंवेदनशील संक्रमणों के लिए आवश्यक उपचार राशि का 10.6% खर्च हो सकती है. निजी अस्पतालों का खर्च बेइंतहा अधिक आठ अस्पतालों के डेटा का उपयोग करके तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया कि निजी अस्पतालों में प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के प्रबंधन की लागत 2,88,426 रुपये (3,382 डॉलर) है, जबकि कुछ शहरों में चैरिटी ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों में 18,335 रुपये (215 डॉलर) की लागत आती है. इसमें कहा गया है कि प्रतिरोधी कीड़ों की वृद्धिशील लागत निजी अस्पतालों में संवेदनशील कीड़ों की तुलना में 10.7% अधिक थी, जिमें फार्मास्यूटिकल्स का प्रमुख योगदान था. पेपर के लेखकों में से एक वरिष्ठ आईसीएमआर वैज्ञानिक डॉ कामिनी वालिया के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि भारत में संक्रमण के इलाज की लागत ही काफी आती है, लेकिन यदि संक्रमण दवा प्रतिरोधी के कारण आती है तो लागत बहुत अधिक आती है