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भारत बन रहा सबसे धीमा न्याय तंत्र

5 करोड़ केस लंबित : फोरम फॉर फास्ट जस्टिस ने लगाई त्वरित न्याय की गुहार

मुंबई: भारत विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन भारत विश्व में सबसे धीमा न्याय तंत्र भी है. देश की अदालतों में 5 करोड़ से अधिक केस पेंडिंग है, जिनमें नागरिकों को तारीख पर तारीख मिल रही है, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है. न्याय में देरी से जहां समाज में निराशा और अन्याय सहन की मनोवृत्ति बढ़ रही है, वहीं देश के विकास पर बुरा असर पड़ रहा है. हा है. साथ ही न्यायपालिका पर भरोसा घट रहा है. इसलिए सरकार और सुप्रीम कोर्ट को लंबित मामलों का जल्द निपटारे के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. यह मांग फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के चेयरमैन भगवानजी रैयानी, ट्रस्टी राजेंद्र ठक्कर और आशीष मेहता ने की है. मुंबई स्थित फोरम फॉर फास्ट जस्टिस 2008 में रजिस्टर्ड ट्रस्ट है. देश में इस प्रकार का विश्व में एकमात्र एनजीओ है. देश के 23 राज्यों में इसके 115 सेंटर हैं. संस्था ने न्यायतंत्र में सुधार के आंदोलन को जारी रखते हुए इसके लिए 5 जनवरी को दादर स्थित आंबेडकर हाल में ज्यूडिशल रिफॉर्म्स के बारे में आमसभा का आयोजन किया है, जिसे संस्था से जुड़े एडवोकेट संबोधित करेंगे. जजों की संख्या बढ़ाई जाए: संस्था के अध्यक्ष रैयानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के फैसले में जजों की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया था. प्रत्येक 10 लाख की बस्ती पर मौजूदा 10 के बदले 50 न्यायाधीश होने चाहिए. भाजपा ने भी 2014 के चुनाव घोषणापत्र के 16 पॉइंट प्रोग्राम में सबसे त्वरित न्याय तंत्र का वचन दिया था, लेकिन उसकी पूर्ण रूप से उपेक्षा की गई है.

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