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आर्थिक सुधारों के पुरोधा थे मनमोहन सिंह

देश के 14वें प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारवाद के जनक डॉ. मनमोहन सिंह को पूरी दुनिया भारत में आर्थिक सुधारों के लिए जानती है. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोला और साहसिक आर्थिक सुधार किए. राजनीति के दांवपेंच में माहिर नेताओं से बिल्कुल अलग सक्षम व्यूरोकेट, विश्वस्तरीय अर्थशास्त्री व सीधे-सरल व्यक्ति के रूप में उनकी पहचान थी. तब आरोप था कि सारे अहम निर्णय सोनिया गांधी लिया करती थीं. प्रणब मुखर्जी की तुलना में सोनिया का भरोसा मनमोहन सिंह पर अधिक या. डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री होने के पहले ही अन्य पदों पर रहते हुए भी अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने वाले काम किये थे. उन्होंने हरित क्रांति का आर्थिक मॉडल तैयार किया था. उनकी सलाह पर ही कृषि में निवेश और न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति को लागू किया गया था. ये डॉ. मनमोहन सिंह ही थे, जिन्होंने भारत की पांचवीं पंचवर्षीय योजना को (1974-1979) को आकार देते हुए इसे औद्योगिक और निर्यात केंद्रित बनाया. 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में उन्होंने जो व्यवहारिक और प्रभावशाली काम किये, उसमें भी अनेक इतिहस बदल देने वाली उपलब्धियां रही हैं. भारत में ग्रामीण बैंकों का विस्तार उन्हीं के आरबीआई गवर्नर रहते हुए हुआ और ग्रामीण क्षेत्रों को कर्ज और वित्तीय सहायता को प्राथमिकता के दायरे में लाया गया. उन्होंने कृषि और छोटे उद्योगों के लिए सस्ती व्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराये जाने की नीतियां लागू की. उन्हीं के गर्वनर रहते हुए भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एग्जिम बैंक) की स्थापना हुई. मजबूत बैंकिंग प्रणाली सुनिश्चित हुई, उनके द्वारा बनाये गए नीतिगत ढांचे ने बैंकों को जवाबदेह… डॉ. मनमोहन सिंह ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना यानी गोल्ड मोनेटाइजेशन की शुरुआत की और इस तरह विदेशी मुद्रा भंडार बुनियादी रूप से मजबूत होने लगा, जो आज भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के विदेशी मुद्रा सम्पन्न देशों में खड़ा करता है.

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