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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्रिसमस पर नई पहल

दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कारोबार से लेकर संस्कृति तक में स्वदेशी के पालन पर जोर देता रहा है. वह क्रिसमस जैसे आयोजनों से दूर रहा है और इसे भारतीय संस्कृति से अलग त्योहार मानता है. संघ के विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे आनुषांगिक संगठन तो स्कूलों आदि में क्रिसमस मनाए जाने का विरोध भी करते रहे हैं. ऐसा सालों से चलता रहा है, लेकिन अब संघ ने विरोध की बजाय एक अलग ही कार्यक्रम की पहल की है. यह पहल है- 25 दिसंबर के मौके पर ‘वीर बाल दिवस पथ संचलन’ की. बीते 5 सालों से यह कार्यक्रम आरएसएस की ओर से देश के ज्यादातर हिस्सों में आयोजित हो रहा है. इन कार्यक्रमों के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत को याद किया जाता है. आरएसएस ने बीते 5 वर्षों से साहिबजादों की शहादत की याद में देश भर में पथ संचलन की शुरुआत की है. इस मौके पर ज्यादातर छात्रों को ही शामिल किया जाता है और वे संघ के पूरे गणवेश अपने गांव, कस्बों या शहर की बस्तियों में रैली निकालते हैं. इसे ही संघ की शब्दावली में पथ संचलन कहा जाता है. इससे पहले आरएसएस की ओर से दशहरे, हिंदू नववर्ष आदि पर ही इस तरह का पथ संचलन किया जाता था, लेकिन अब यह नई पहल शुरू की गई है. इस बारे में बने पर आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि हम अकसर कहते हैं कि हमें विदेशी नहीं बल्कि स्वदेशी संस्कृति का पालन करना चाहिए.

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