गोंदिया: पहले हर घर में मिट्टी और धातु के बर्तनों का ही इस्तेमाल होता था, जो सुरक्षित भी हैं, लेकिन वर्तमान समय में बच्चा जन्म लेते ही प्लास्टिक और पॉलीथीन बैग से घिरा होता है. दूध पिलाने की बोतल से लेकर दूध की कैरी बैग तक प्लास्टिक और पॉलीथीन की होती है. इसका नियमित उपयोग और फिर इसे जलाने के बाद निकलने वाली जहरीली गैसें कैंसर का कारण बन रही हैं. इसमें फेफड़े का कैंसर भी शामिल है. ऐसा एक निरीक्षण में पाया गया है. फिलहाल प्लास्टिक मानव जीवन पर खतरा बनकर मंडरा रहा है. जब प्लास्टिक को कचरा बनाकर उसे जला दिया जाता है तो वह खत्म नहीं होता जबकि वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को न्योता देता है. प्रयोग किए प्लास्टिक को खुले में फेंककर हम पर्यावरण का नुकसान करते हैं. भूमि बंजर होती है. शहर में कई जगह प्लास्टिक और पॉलीथीन को जलाया जाता है, जो सबसे ज्यादा खतरनाक है. प्लास्टिक और पॉलीथीन का उपयोग बढ़ता जा रहा है. कई मोहल्लों, गलियों और घरों के सामने भी पॉलीथीन और प्लास्टिक कचरे को जला देते हैं. इससे कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जो आबोहवा को जहरीला बनाती हैं. प्लास्टिक को जब बनाया जाता है तो इसमें बहुत सारे केमिकल का इस्तेमाल होता है. इसे जब जलाया जाता है तो वह केमिकल हवा में फैल जाते हैं और वायु प्रदूषण का कारण घरों के सामने भी पॉलीथीन और प्लास्टिक कचरे को जला देते हैं. इससे कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जो आबोहवा को जहरीला बनाती हैं. प्लास्टिक को जब बनाया जाता है तो इसमें बहुत सारे केमिकल का इस्तेमाल होता है. इसे जब जलाया जाता है तो वह केमिकल हवा में फैल जाते हैं और वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं. जानकारों के अनुसार प्लास्टिक की विघटन प्रक्रिया में सैकड़ों साल लग जाते हैं. इसलिए जब प्लास्टिक को जमीन के अंदर दबा दिया जाता है तो यह विघटित नहीं हो पाता. जहरीली गैसें और पदार्थ छोड़ता है. इस कारण जमीन बंजर हो जाती है. यदि वहां कोई फसल पैदा भी होती है तो उसमें हानिकारक पदार्थ मिले होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं.