उमरखेड़ : व्यक्ति को जिस संविधान से स्वतंत्रता मिली है, उस संविधान को 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. लेकिन घर-घर में संविधान के रूप में मनाया नहीं है, संविधान का जागर घर घर में हुआ उसके बावजूद प्रत्येक को उनके अधिकार जीवन जीने का, व्यक्ति की प्रतिष्ठा, धार्मिक दृष्टि से यह धर्म आचरण प्रसार प्रचार के अधिकार समेत स्वतंत्रता, समता, न्याय, बंधुता यह संविधान की आत्मा हैं. ऐसा प्रतिपादन डा. प्रा. अनिल कालबांडे ने किया, वे मूवमेंट फॉर पीस एड जस्टिस इस संगठन की ओर राज्यव्यापी संविधान सभी के लिए अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर स्थानीय अल हुदा स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस समय मंच पर इनायत उल्ला जनाब, डा. प्रा अनिल कालबांडे, एड, यासीर खान, एड. अरमान शेख शाहरुख पठान, कामरान खान आदि मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे. उन्होंने आगे कहा कि, अलग अलग संस्कृति, खान पान, प्रथा, परंपरा, त्योहार, उत्सव, वेशभूषा, रहन सहन, कपडे इतने विभिन्नता से भरे देश को एक संघ करने का काम संविधान ने किया. भारत में रहने वाले सभी नागरिक भारत के नागरिक है, उन्हें सम्मान से जीने का अधिकार संविधान ने दिया हैं. यह संविधान गांव, टांडा, बस्ती में रहने वाले सभी तक पहुंचाने की आवश्यकता था.