7 महीने में 47 बच्चों की मौत
भंडारा : सरकार की ओर से माता मृत्यु और बाल मृत्यु रोकने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है इसके बावजूद बाल मृत्यु रुकने का नाम नहीं ले रही है. जिले में 2024 में अप्रैल से अक्टूबर तक 7 महीने की अवधि के दौरान 47 बच्चों की मौत हो गई. गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य सुदृढ़ और स्वस्थ्य रहे इसके लिए सरकारी स्तर पर विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं. इसके बाद भी ऐसा हो रहा है. मानव विकास कार्यक्रम के माध्यम से गर्भवती महिलाओं, 6 वर्ष के बच्चों और माताओं की जांच और दवा पर 57.435 लाख रुपये खर्च किए गए. जन्मजात मृत्यु की संख्या 22 व शिशु मृत्यु की संख्या 25 है. इसमें तुमसर तहसील में बच्चों की मृत्यु की संख्या सबसे अधिक है. दरअसल, राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में मानव विकास सूचकांक को बढ़ाने के लिए मानव विकास कार्यक्रम लागू किया गया है. भंडारा और पवनी के अलावा जिले के अन्य 4 तहसीलों में इस योजना के तहत शामिल हैं. ‘मिशन’ के माध्यम से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों की स्वास्थ्य जांच, गर्भावस्था व नवजात देखभाल में उचित मार्गदर्शन, संस्थागत प्रसव में वृद्धि, गंभीर बीमारियों का समय पर निदान, शिशु और नवजात मृत्यु दर में कमी, कुपोषितों में कमी जैसे विभिन्न उद्देश्यों के साथ लागू की गई है. बच्चों के लिए स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाता है इसमें गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 वर्ष तक के बच्च्चों की जांच और उपचार महिला स्वास्थ्य अधिकारियों और बाल रोग विशेषज्ञों की ओर से की जाती है. यह योजना जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला परिषद के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है. जानकारी अनुसार अप्रैल 2024 से अक्टूबर के अंत तक जिले के 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 1 नागरिक केंद्र के तहत कुल 316 शिविर आयोजित किए गए. इस शिविर से 11,096 गर्भवती महिलाएं, 5,049 धात्री माताएं, 6 वर्ष के 4,571 बच्चे, 1,115 हाई रिस्क (उच्च जोखिम वाली माताएं), 82 कम वजन वाले बच्चों की जांच एवं उपचार किया गया.