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कनाडा में पढ़ना अब मुश्किल

हजारों भारतीय छात्रों का विदेशी विश्वविद्यालयों में, विशेषकर अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना टूटने जा रहा है, क्योंकि कनाडा व इंग्लैंड जैसे देशों ने अपने विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों के प्रवेश नियमों को सख्त व महंगा कर दिया है. कनाडा की सरकार ने अपने विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों के प्रवेश नियमों में संशोधन किया है. इसका असली कारण है कि पिछले साल दिसंबर में खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश को लेकर ओटावा व दिल्ली के बीच जो राजनीतिक रस्साकशी हुई थी, यह उसी का ही परिणाम है. कनाडा के पीएम टूडो ने कहा कि उनका देश इस साल 35 प्रतिशत कम अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट जारी कर रहा है. इसमें अगले साल और10 प्रतिशत की कमी की जाएगी.संशोधित नियमों में सबसे प्रमुख है गारंटीड इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट (जीआईसी) का दाम 10,000 कैनेडियन डॉलर्स से बढ़ाकर दोगुने से भी अधिक 20,635 कैनेडियन डॉलर्स कर दिया है. जर्मनी व ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने-अपने जीआईसी में इजाफा किया है. वह हर साल जीआईसी में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि करते रहे हैं. मई 2023 में जर्मनी का वीजा अप्लाई करने के लिए 11,208 यूरो (लगभग 10 लाख रुपये) थे, जबकि इससे पहले यह कैप 10,000 यूरो पर थी. एक अन्य घटनाक्रम में इंग्लैंड ने घोषणा की है कि 2024 से अंतरराष्ट्रीय छात्र अपनी शिक्षा पूर्ण करने के दौरान अपने आश्रित परिवार को नहीं ला सकेंगे. उच्च्च शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि 6.15 लाख रुपया इतना कम है कि कनाडा जैसे महंगे देश में एक छात्र के रहने के लिए पर्याप्त नहीं है. कनाडा के एक ही झटके में 100 प्रतिशत की वृद्धि करने से छात्रों को शॉक लगा है. नये संशोधित नियमों के तहत कनाडा ने शिक्षा परमिट या छात्र वीजा की संख्या 4 लाख से घटाकर 3.6 लाख कर दी है. अकेले भारत से ही 1.4 लाख छात्र कनाडा जाया करते थे, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत वहां डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रम करने के लिए जाते थे.

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