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पेपर लीक कानून आया राज्य में 10 साल की सजा, 1 करोड़ जुर्माना, विधेयक पेश

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की परीक्षाओं में पेपर लीक मामलों पर लगाम कसने के लिए कड़ी सजा के प्रावधान की तैयारी शुरू कर दी है. शुक्रवार को विधान मंडल के चल रहे मानसून सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री शंभुराजे देसाई ने एंटी पेपर लीक बिल को विधानसभा में पेश किया. इस बिल में पेपर लीक रोकने मामलों में दोषी पाए जाने पर 10 साल तक जेल की सजा और 1 करोड़ रुपए के जुर्माने प्रावधान है. महाराष्ट्र सरकार ने इस बिल को महाराष्ट्र प्रतियोगी परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 नाम दिया है. इस बिल पर पहले विधानसभा और विधान परिषद में चर्चा होगी. बाद में दोनों सदनों में पारित होने के बाद इस बिल को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद पेपर लीक को रोकने के यह कानून लागू हो जाएगा. राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा- स्नातक (नीट-यूजी) के संचालन में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर यह विधेयक विधानसभा में पेश किया गया है

डिप्टी CM फडणवीस ने की थी घोषणा

डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सरकारी नौकरियों में भर्ती के मुद्दे पर एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए पेपर लीक मामलों को रोकने के जल्द ही इस पर कानून बनाए जाने की घोषणा की थी. कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोरात, राकांपा (सपा) विधायक रोहित पवार, भाजपा के आशीष शेलार और शिवसेना (यूबीटी) के जाधव ने सरकार से पूछा कि क्या वह पेपर लीक को रोकने के लिए कोई कड़ा कानून बनाएगी जिसके जवाब में फडणवीस ने कहा था कि कानून बनाने के लिए इसी सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा. इसके तहत ही पेपर लीक मामलों के खिलाफ सख्ती से निपटने के लिए यह बिल सदन में पेश किया गया है

बिल की खास बातें

महाराष्ट्र प्रतियोगी परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 बिल में पेपर लीक मामलों को संज्ञेय, गैर जमानती अपराध बनाया गया है.

बिल का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना, अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है.

ऐसे व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है, जो अवैध तरीके से धन कमाने के लिए पेपर लीक के अपराध को बढ़ावा देते हैं.

पेपर लीक अपराध में शामिल व्यक्तियों के लिए कम से कम तीन साल के कारावास का प्रावधान है. जिसे पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

पेपर लीक मामलों में शामिल लोगों पर 1 करोड़ रुपए तक के जुर्माने के अलावा इन लोगों से परीक्षा की खर्च पर आई लागत की भी वसूली की जाएगी. साथ ही उन्हें चार साल तक किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के संचालन से बैन कर दिया जाएगा.

पेपर लीक मामले में किसी संस्था का कोई निदेशक, प्रबंधन या सेवा प्रदाता फर्मों के प्रभारी लिप्त पाए जाते हैं तो उसे कम से कम तीन वर्ष की सजा होगी. जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही उसके ऊपर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

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