पटोले नहीं, यादवराव पडोले के – पुण्यों से मिली चुनाव में जीत
भंडारा : भंडारा-गोंदिया – लोकसभा चुनावों में जीत का सेहरा नाना – पटोले के सर नहीं बंधेगा बल्कि यह जीत – स्वर्गीय यदावराव पडोले के पुण्य कर्मों का – फल है, ऐसा सनसनीखेज बयान दिया भंडारा के विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने. शुक्रवार को भंडारा सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में वे बात कर रहे थे. भोंडेकर ने आगे कहा की रामटेक, चंद्रपुर और गड़चिरोली की जीत का श्रेय नाना पटोले अकेले लूट रहे हैं जो सरासर गलत है. कांग्रेस की जीत में सुनील केदार या उन जैसे अन्य स्थानीय नेताओं की निर्णायक भूमिका रही है. उन्होंने सवाल उठाया की पटोले 4 टर्म विधायक और 1 टर्म सांसद रह चुके हैं लेकिन उन्होंने जिले के लिए कितना विकास निधि लाया यह बड़ा प्रश्न है. भोंडेकर भंडारा विधानसभा क्षेत्र से शिंदे गुट के विधायक हैं. इस अवसर पर उनके साथ अनिल गायधने, आरिफ शेख उपस्थित थे. हार की जिम्मेदारी सभी की इस अवसर पर भोंडेकर ने कहा की भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र से महायुति के उम्मीदवार सुनील मेंढे के हार की जिम्मेदारी सभी घटक दलों की है. भंडारा विधानसभा क्षेत्र से मेंढे 23 हजार वोटों से पिछड़े जिसके लिए भोंडेकर ने खुद जिम्मेदारी ली लेकिन यह भी कहा की महायुती के हार के कारणों में मेंढे का नगराध्यक्ष और सांसद दो पदों पर बने रहना मुख्य कारण रहा. नियोजन के अभाव केअलावा चारों प्रमुख उम्मीदवार भंडारा शहर के होने से वोटों का विभाजन भी एक कारण रहा. भोंडेकर ने कहा की उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को संभाला ना होता तो भंडारा विधानसभा से यह अंतर 23 हजार की जगह 50 हजार तक बढ़ गया होता. निर्षक्रय पालक मंत्री भी एक वजह हार की वजहों को गिनाते हुए विधायक भोंडेकर ने मौजूद पालक मंत्री विजय कुमार गावित पर भी निशाना साधा. भोंडेकर ने कहा की जिले को गावित जैसा निर्षक्रय पालक मंत्री मिला. जिसने लोकसभा चुनावों में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई. पालक मंत्री बाहरी होने का खामियाजा महायुती को भुगतना पड़ा. उन्होंने कहा की पालकमंत्री जिले का होना चाहिए. जिले में अभी तक संजय गांधी श्रावण बाल योजना की समिति तक गठित नहीं की जिससे आम लोगों ने सरकार के विरोध में अपने मताधिकार का प्रयोग किया